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Sahitya Aaj Tak 2024: 'साहित्य अकादमी 24 भाषाओं में कर रही काम...' सचिव श्रीनिवासराव ने युवा लेखकों को लेकर कही ये बात

Sahitya Aajtak 2024 Day 2: दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में शब्द-सुरों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2024' का आज दूसरा दिन है. यह तीन दिवसीय कार्यक्रम 24 नवंबर तक चलेगा. यहां किताबों की बातें हो रही हैं. फिल्मों की बातें हो रही हैं. सियासी सवाल-जवाब किए जा रहे हैं और तरानों के तार भी छेड़े जा रहे हैं.

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साहित्य आजतक के मंच पर मौजूद अतिथि.
साहित्य आजतक के मंच पर मौजूद अतिथि.

साहित्य के सबसे बड़े महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2024' के दूसरे दिन मंच पर 'पुस्तक, अकादमी और मेले' सत्र का आयोजन किया गया. इस सत्र में साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के श्रीनिवासराव, नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ सिंधी लैंग्वेज के डायरेक्टर प्रो. रवि प्रकाश टेकचंदानी ने शिरकत की. इस सत्र में साहित्य के संरक्षण, भाषाओं के प्रचार-प्रसार और पुस्तक मेलों की भूमिका पर चर्चा हुई. इसी के साथ साहित्य की बदलती परिभाषा, डिजिटल युग में किताबों के भविष्य और युवा पीढ़ी को पढ़ने की ओर प्रेरित करने के उपायों पर विचार साझा किए.

साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि पढ़ाई के दिनों में इच्छा हुई कि साहित्य में आगे बढ़ना चाहिए. साहित्य में पीजी करना चाहिए. मैं मराठी में बोल सकता हूं. मेरी हिंदी अच्छी नहीं है. पीएचडी और एमफिल किया. मैं पिछले 12 साल से सेक्रेटरी हूं. साहित्य अकादमी हर साल खूब कार्यक्रम करवाती है. साहित्य को कोई खतरा नहीं है. अकादमी की तरफ से कई सारी पत्रिकाएं भी छपती हैं. युवा पीढ़ी भी खूब रुचि लेती है. 

Sahitya Aaj Tak 2024: 'साहित्य अकादमी 24 भाषाओं में...' सचिव श्रीनिवासराव ने युवा लेखकों को लेकर कही ये बात
साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव.

यह भी पढ़ें: लेखन की दुनिया में कैसे आगे बढ़ सकती है युवा पीढ़ी? साहित्य आजतक के मंच पर लेखकों ने दिए टिप्स

के.श्रीनिवासराव ने कहा कि सभी भाषाओं के लोग अपनी भाषा के प्रति प्रतिबद्ध हैं. साहित्य अकादमी में भारत की 24 भाषाओं को समान ट्रीटमेंट दिया जाता है. कई भाषाओं के लेखकों की रचनाएं सिलेबस में शामिल हुई हैं. हर भाषा में प्रयोग हो रहे हैं. प्रकाशन समूह भी अच्छी पुस्तकें छाप रहे हैं. फिर भी पाठ्यक्रम में अच्छी रचनाएं शामिल होनी चाहिए. भारतीय भाषाएं बेहद समृद्ध हैं. विश्व के साहित्य के सामने भारतीय साहित्य बेहद समृद्ध है, इसमें कोई तुलना नहीं की जा सकती.

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उन्होंने कहा कि साहित्य अकादमी का काम एक साहित्य को दूसरी भाषा में अनुवाद कर उपलब्ध कराना है. जिस भाषा में पुरस्कार दिया जाता है, उसके बाद कृति को हम अन्य 23 भाषाओं में अनुवाद कराते हैं, ताकि लोगों को उसके बारे में पता चले. भारत बहुभाषी देश है. राजस्थानी और अंग्रेजी शेड्यूल में नहीं है.

इसके अलावा भी अन्य कुछ भाषाएं हैं. यहां इतनी भाषाएं हैं कि अभी तक हम एक दूसरे की भाषा में साहित्य का आदान प्रदान ही नहीं कर पाए हैं. ओडिशा के कोरापुट जिले की बात करें तो वहां एक जिले में 64 भाषाएं हैं. जब तक हम अपनी ही भाषाओं का अनुवाद नहीं कर पाएंगे, तब तक हम इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर अनुवाद करके दिखा नहीं पा रहे हैं.

नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ सिंधी लैंग्वेज के डायरेक्टर रवि प्रकाश टेकचंदानी
नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ सिंधी लैंग्वेज के डायरेक्टर रवि प्रकाश टेकचंदानी.

देश में सिंधी भाषा को लेकर क्या बोले सिंधी लैंग्वेज के डायरेक्टर?

नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ सिंधी लैंग्वेज के डायरेक्टर रवि प्रकाश टेकचंदानी ने कहा कि 10 अप्रैल 1967 को संविधान में सिंध की भाषा सिंधी को शामिल किया गया. समाज अपनी भाषा साथ लाता है. सिंधी भाषा को संविधान में शामिल होने में 20 साल लग गए. देश में सिंधी भाषा को कोई नुकसान नहीं है. मेरा जन्म अयोध्या में हुआ था, वहां बहुत कम सिंधी हैं. वहां से दिल्ली तक की यात्रा हुई. संवेदना से भरी यात्रा है. निर्वासितों की यात्रा है.

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भारत में भारतीय भाषाओं के संवर्धन के लिए शिक्षा नीति ने दरवाजे खोल दिए हैं. अब हिंदी में भी मेडिकल की पढ़ाई की जा सकती है. अगले 15-20 साल में भाषा को लेकर काफी कुछ बदलने वाला है. भारत के बाजार के लिए पूरा विश्व हिंदी पढ़ रहा है. भाषा को माध्यम के रूप में मत अपनाइये, अंग्रेजी को खूब पढ़िये, लेकिन आपको अगले कुछ सालों में हिंदी को लेकर बदलाव नजर आने वाला है. नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को जरूर पढ़ें.

जब भारतीय भाषाओं के समन्वय की बात होती है तो हम कहते हैं- हयात लेके चलो कायनात लेके चलो, चलो तो सारे जमाने को साथ लेके चलो. भारतीय भाषा में ये भावना निहित है. भारतीय भाषाएं यही सिखा रही हैं. भारतीय भाषाएं समृद्ध रहेंगी, इससे हमें रोटी रोजगार भी मिलेगा.

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