Sahitya Aaj Tak 2023: इस साल एक बार फिर राजधानी दिल्ली में सुरों और अल्फाजों के महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2023' का आयोजन हो रहा है. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत 24 नवंबर से मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में हुई है. आज इसका तीसरा दिन है. इस कार्यक्रम में देश के जाने माने दिग्गज शिरकत कर रहे हैं. आज कार्यक्रम के तीसरे दिन के एक सेशन 'चलो बात करते हैं' में कवि एवं परफॉर्मर नायाब मिधा और अर्जन सिंह पहुंचे. मिधा ने सेशन की शुरुआत करते हुए अपने नाम के पीछे की कहानी बताई.
उन्होंने बताया कि वो श्रीगंगानगर राजस्थान की रहने वाली हैं. डीडी पाकिस्तान में दहेज प्रथा से जुड़े सीरियल की एक्ट्रेस का नाम नायाब था. बस यहीं से नायाब नाम पड़ गया. उन्होंने अपनी कविता 'मुस्कुराओ' सुनाई...
मुस्कुराओ, अगर आज कहीं से हार गए हो
उस जीत की ज़रूरत तुमसे ज़्यादा किसी को थी शायद
मुस्कुराओ, अगर कुछ खो गया है
जिसके नसीब का था उसको मिल गया है शायद
मुस्कुराओ, अगर दिल टूट गया है
किसी का जोड़ने के लिए किसी का तोड़ना पड़ता होगा न
और भी रह जाए अगर दिल में दर्द कहीं तो बांटकर मुस्कुराओ
और है अगर दिल में ख़ुशी ज़्यादा तो सेम प्रोसेस दोहराया
मुस्कुराओ, अगर सिर पर है छत, बदन पर है कपड़ा और है थाली में खाना
और अगर है ज़रूरत से ज़्यादा तो बांटकर घर आना
मुस्कुराओ, जब बार बार सोचकर ये हताश हो जाते हो कि
इससे अच्छा ये हो जाता, इससे अच्छा वो हो जाता
ये सोचकर मुस्कुराओ कि इससे बुरा हो जाता तो क्या हो जाता
मुस्कुराओ, जब पूछे कोई कि ज़िंदगी जीने का है क्या सलीका
मुस्कुराओ, ये कहकर कि हमने जिंदगी से मुस्कुराना ही सीखा
मुस्कुराओ, भले ही आपको मीलों-मील पैदल चलना पड़े
मुस्कुराओ...

अर्जन सिंह ने भी शुरुआत अपने नाम के पीछे की कहानी बताते हुए की. उन्होंने कहा कि उनके जन्म के वक्त आज का अर्जुन नाम की फिल्म आई थी. वहीं से उनके भाई ने उनका नाम अर्जन रख दिया. बर्थ सर्टिफिकेट पर आज भी अर्जुन है. लेकिन एक सिख गुरु के नाम पर रखना था, तो अर्जन कहते हैं.
अर्जन ने कहा कि ऊपर वाले ने अपनी तराजू में एक तरफ गम और एक तरफ खुशियां रखी हैं. लेकिन हमें लगता है कि 5 किलो गम हमें ज्यादा मिला है लेकिन ऐसा नहीं है. इसके बाद उन्होंने गाकर सुनाया...
जितनी हैं खुशियां, उतने ही हैं गम
बेवजह ही, हैं इतने मायूस हम
कहती हैं राहें कि मंजिल बुलाएं
बस थोड़ा है इंतजार
जो भी है चाहा सब मिल जाएगा
खुद पे हो बस एतबार
ओ हो हो
हर पल नया है
हर पल में है छुपी एक उम्मीद ही
जो ढूंढ लो तुम उस रोशनी का सवेरा है फिर ज़िंदगी
जितनी हैं खुशियां, उतने ही हैं गम
बेवजह ही, हैं इतने मायूस हम...
नायाब मिधा ने आगे बताया कि वो अकेलापन महसूस करती थीं. इसलिए उन्होंने अपनी डायरी में लिखना शुरू किया. बस वही डायरी उनकी दोस्त बन गई. उन्होंने अपनी बचपन में लिखी कविताओं की चंद लाइनें सुनाईं. इसके बाद मिधा ने अपनी कविता दाग सुनाई-
चेहरे पर मेरे एक दाग़ है
मेरी नाक ज़रा है इधर-उधर
आंखों से ज़रा मैं भटकती हूं
दिखती हूं थोड़ी अलग-अलग
लोग मुझे देख कर नज़रें चुराते हैं
एक बार को अटपटाते हैं
फिर दूसरे ही पल बड़े दया भाव से मुस्कुराते हैं
वो पूछते हैं मुझसे
वो पूछते हैं मुझसे
चेहरे पर जो ये दाग़ है, क्या बचपन की कोई याद है ?
याद! याद जिसका काम है बीते कल की बातों से
मेरे आज को चुराना
और तुम जैसे लोगों को मुझे अपनाने से डराना
तो मैं भी कह देती हूं उनसे
ये डर जो तुम्हारे सर बदन पर लिपटा है
मेरे बस चेहरे तक सीमित है
बचपन ज़िंदा है मेरा
बचपन ज़िंदा है मेरा
निडर हूं मैं आज भी
सिर पे बेफिकरी का वो ताज भी
मुझे खौफ नहीं सूरज जो मेरा रंग चुरा ले
बारिश जो मुझे भिगा ले
मैं तो खुद बारिश की उन बूंदों से कुछ रंग चुरा लेती हूं
धूप निकलते उन्हें अपने बदन पर सुखा लेती हूं
वो बूंदें जिनमें बसती मेरे अंदर की सारी आग है
लोग समझते इसे बस मेरे चेहरे का एक दाग हैं
नायाब मिधा के बाद अर्जन सिंह ने भी 'सूरत तेरी कसम से' पर अपना गीत गाकर सुनाया.
नायाब मिधा से दिल टूटने पर सवाल पूछा गया. उन्होंने कहा कि मैं टूटा दिल लेकर ही पैदा हुई थी. जो आपके दिल से निकले और सामने वाले के दिल तक पहुंचे, वही कविता हो गई. उन्होंने अपनी कविता 'तीसरी मोहब्बत' सुनाई.
जब पहली दफा प्यार हुआ
या ऐसा लगा कि प्यार हुआ
तब ये अहसास हुआ कि
कुछ लोग जिंदगी में ये अहसास दिलाने के लिए आते हैं
कि मोहब्बत से हमें क्या नहीं चाहिए
नहीं चाहिए वो जो तुम पर अपना हक समझे
नहीं चाहिए वो जो तुमको बस बदन तक समझे
नहीं चाहिए वो कि जिसके दिल में जलन हो
नहीं चाहिए वो के जो खुद में ही मलंग हो
नहीं चाहिए वो जिसे तुम पूरी शिद्दत से तो चाहो
मगर पूरी कायनात हाथ में लाकर रख दे तो बस दर्द मिले
अब लोग कहेंगे के मोहब्बत करने वालों को दर्द के सिवा कुछ नहीं मिलता
उन्हें कहने दो
तुम इस दिल को एक दूसरा मौका दो
मौका दो ताकी ये सीख सके
के कभी-कभी सब कुछ ठीक होकर भी ठीक नहीं होता
दिमाग तो चिल्ला चिल्ला कर कह भी देगा
कि है तो इसमें वो सब जो तुझे चाहिए
ऐ दिल अब बता तुझे और क्या चाहिए
मगर दिल परख लेता है ख़त्म हो जाने वली मोहब्बत, झूठ, फरेब, झूठे वादे
वक़्त से पहले ही
इसलिए इस दफा कस कर बंद करता है दरवाज़े
और दिमाग गुस्से में आकर तुम्हें इतना पागल कर देता है के तुम हर वक्त,
सोचते हो मोहब्बत हमारे समझ की बात नहीं मिया, छोड़ो
मगर मिया मोहब्बत अगर समझ आ जाने वाली चीज होती
तो खुदा ये जिम्मेदरी दिल को सौंपता ही क्यों
ढूंढ कर न तराशो तो होती कोयले जैसी कहीं राख मोहोब्बत
या मिल जाए तो कह देते हैं लोग एक खूबसूरत इत्तेफाक मोहब्बत
अच्छा ये इत्तेफाक तो ऊपर वाला हर किसी की जिंदगी में एक दफा जरूर करवाता है
तुम्हारे लिए बना वो शख्स
बेवक्त ही सही मगर तुमसे ज़रूर टकराता है
वो शख्स जो बिना जाने ही तुम्हें अपना सा लगेगा
जो तुमसे नहीं तुम्हारे बदलते हर रूप से मोहब्बत करेगा
हमसे शख्स के आजाने से ना तो तुम्हारा रास्ता छोटा होगा
या ना ही इस रास्ते के कंकड़ हटेंगे
मगर तुम्हें चलना नहीं पड़ेगा
मोहब्बत कब आकर कंधों पर पंख लगा देती है
पता भी नहीं चलता
मगर पूरी की पूरी पीठ छील देती है आते आते
ताकी बैठ कर ज़िदगी भर मरहम लगाए
मरहम लगाए और तुम्हें बताए
ना शर्तों की मोहताज मोहब्बत
ना तुम आधे ना वो आधी
दो पूरे लोगों के मिलने का साज़ मोहब्बत
पूरी ये सच्ची, पूरे तुम पागल
दिल के पागल पंछी की परवाज़ मोहब्बत
इसलिए कहती हूं कि पछताओगे, बहुत पछताओगे
कि अगर इस दिल को ना बार बार मौके दिया
क्या हुआ अगर कुछ लोगों ने हमको धोखे दिए
जहां इतना सही, इस सच्चे दिल को थोड़ा और पागल होने दो
इसे फिर एक बार किसी के प्यार में खोने दो
नायाब की कविता में अर्जन ने अपने गीतों से एक अनोखा समा बांधा. उन्होंने कविता के बीच बीच में बॉलीवुड के कुछ हिट गाने गाए.