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अच्छी और गहरी नींद का एक ये भी है राज

अच्छी नींद लाने में ये छोटा सा बदलाव आपकी मदद कर सकता है.

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ऊनी कपड़े लाएंगे अच्छी नींद
ऊनी कपड़े लाएंगे अच्छी नींद

अच्छी नींद के लिए अच्छा खान-पान और सुकून बहुत जरूरी है लेकिन क्या आपको पता है कि आपकी नींद का नाता आपके कपड़ों से भी है. जी हां, आप सोने के समय क्या कपड़े पहनते हैं, इससे भी आपकी नींद पर बहुत फर्क पड़ता है.

शोधकर्ताओं के मुताबिक, कॉटन (सूती) या पॉलिएस्टर का पैजामा पहनने के बजाए ऊनी कपड़े पहनने से गहरी नींद लेने में मदद मिल सकती है.

द यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के डॉ. पॉल स्वैन ने बताया, कुछ समय पहले वूलेन बेड पर सोने का चलन था और अब विज्ञान ऊनी कपड़े पहनकर सोने के फायदों की फिर से खोज कर रहा है.

उन्होंने कहा, 'ये कोई संयोग नहीं है. वूलेन आपके शरीर के तापमान को ज्यादा बेहतर ढंग से नियमित करते हैं जिसे थर्मल कम्फर्ट जोन भी कहा जाता है.'

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रिसर्च का सुझाव है कि जो लोग ऊनी पैजामा पहनते हैं, खासकर जब रात में ठंड बढ़ जाती है तो उन्हें जल्दी नींद आती है. इससे ना केवल वे ज्यादा देर तक नींद ले पाते हैं बल्कि अच्छी और गहरी नींद लेने में भी मदद मिलती है.

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में अच्छी नींद मिल पाना बहुत ही मुश्किल काम हो गया है. ऐसे में अगर किसी भी चीज से मदद मिलती है तो ये आपकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ के लिए अच्छा है.

शोधकर्ताओं ने दो स्टडीज की. पहली स्टडी में 17 बच्चों को शामिल किया गया जिन्होंने कॉटन या मेरिनो वूल के पैजामे पहने.

जबकि दूसरे ग्रुप में 50-70 के बीच 36 वयस्कों को शामिल किया गया औऱ उन्हें पोलिएस्टर, कॉटन पहनने को दिया गया.

दोनों स्टडीज में हार्ट रेट, स्किन टेंपरेचर, रिलेटिव ह्यूमिडिटी और ब्रेन वेव के पैटर्न को मापा गया.

ऊनी कपड़ों वाले युवा वयस्कों के समूह ने कॉटन पहनने वालों के मुकाबले 7 मिनट ज्यादा नींद ली. इन लोगों को 15 मिनट के भीतर ही नींद आ गई, वहीं कॉटन वाले समूह को 15 मिनट लगे. वहीं बूढ़े लोगों के समूह में वूलेन ने कॉटन और पॉलिएस्टर से ज्यादा बढ़िया प्रदर्शन किया.

65-70 साल के लोगों को ऊनी कपड़ों में 12 मिनट में नींद आई जबकि पोलिएस्टर और कॉटन में 22, 27 मिनट लग गए.

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लेखक ने निष्कर्ष में कहा कि इससे पता चलता है कि ऊन एक अच्छा इन्सुलेटर है और स्किन वॉर्मिंग को प्रभावित कर सकता है. कुल मिलाकर यह अच्छी और गहरी नींद को बढ़ावा देता है.

ये स्टडी जर्नल नेचर ऐंड साइंस ऑफ स्लीप में प्रकाशित की गई है.

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