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शेफ की टोपी इतनी ऊंची क्यों होती है? संजीव कपूर ने मजाक-मजाक में बताई असली वजह

रसोई में काम करने वाले हर शेफ के सिर पर उसकी ऊंची टोपी होना जैसे लाजमी है. लेकिन यह सवाल अक्सर लोगों के दिमाग में आता है कि इस ऊंची टोपी का क्या मतलब होता है और शेफ की कैप इतनी ऊंची क्यों होती है.

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शेफ की यूनिफॉर्म में टोपी सबसे अहम होती है. (Photo:ITG)
शेफ की यूनिफॉर्म में टोपी सबसे अहम होती है. (Photo:ITG)

अगर रसोई कोई साम्राज्य है तो शेफ ही उसका राजा होता है और उनके सिर पर टोपी उसका ताज होती है. शेफ की व्हाइट यूनिफॉर्म में उनकी ऊंची टोपी सबका ध्यान सबसे पहले अपनी तरफ खींचती है. शेफ के लिए उनकी टोपी भी राजा के लिए उनके ताज जितनी ही कीमती होती है, लेकिन टोपी के ऊंची होने के पीछे की वजह से लोग अनजान हैं. आखिर शेफ की कैप ऊंची क्यों होती है. ये सवाल कभी ना कभी आपके दिमाग में भी आया ही होगा. 

'द लल्लनटॉप' को दिए एक इंटरव्यू में इस बारे में सेलिब्रेटी शेफ संजीव कपूर से सवाल पूछा गया था, तब उन्होंने बताया था कि बाल खाने में न गिरे इसलिए शेफ ऊंची टोपी पहनते हैं. यही वजह है कि प्रोफेशनल किचन में शेफ्स को सिर ढककर ही काम करने की इजाजत होती है.

इसके आलावा जैसे आर्मी अफसर अपनी यूनिफॉर्म से पहचाने जाते हैं, वैसे ही शेफ की पहचान उनकी व्हाइट यूनिफॉर्म और टोपी से होती है. टोपी की ऊंचाई शेफ की पोजिशन और एक्सीरियंस को बताती है.  पुराने जमाने में जितना अनुभवी शेफ होता था, उसकी टोपी उतनी ऊंची बनाई जाती थी. 

संजीव कपूर ने आगे कहा कि यूनिफॉर्म में शेफ गर्व महसूस करते हैं, इसलिए टोपी में किसी ने स्टार्च लगा दिया था, जिसकी वजह से वो अकड़ कर खड़ी रहती है. हालांकि अपनी बात को पूरा करने के बाद उन्होंने कहा कि यह कहानी उन्होंने अभी बताई है. संजीव कपूर ने यह सब मजाक करते हुए कहा, लेकिन शेफ की टोपी के पीछे की असली वजह उनकी बातों से काफी अलग नहीं है. 

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टोपी की डिजाइन और परंपरा 

शेफ की टोपी को टोक ब्लैंच कहा जाता है, जिसका मतलब होता है सफेद टोपी. इसका डिजाइन 16वीं सदी में फ्रेंच किचन से आया था, इसमें 100 प्लीट्स यानी सिलवटें होती हैं, जो उस शेफ के 100 तरीकों से अंडा पकाने की कला का प्रतीक मानी जाती थीं.  

'हाईजीन और सम्मान'

शेफ सिर्फ टोपी को फैशन के लिए नहीं पहनते हैं, बल्कि शेफ की कैप 'हाईजीन और सम्मान' का मतलब बनाए रखना होता है. अब भले ही टोपी के डिजाइन बदल गए हैं, कहीं छोटी. कहीं नेटवाली तो कहीं डिस्पोजेबल कैप्स आने लगी हैं. मगर जैसे जैसे सैनिक की टोपी उसकी ड्यूटी का हिस्सा होती है, वैसे ही शेफ की टोपी उसकी डिसिप्लिन और प्रोफेशनल प्राइड की निशानी होती है. 

संजीव कपूर की बाल गिरने वाली बात टोपी को लेकर सही है, क्योंकि ईस्ट ब्रंसविक, न्यू जर्सी में मैरिसेल किचन की मालिक हैं और मैरिसेल्स सिंपल एशियन कुकबुक की राइटर शेफ मैरिसेल जेंटाइल के अनुसार, शेफ की टोपी यानी टोक ब्लैंच का असली मकसद सफाई है. टोपी का मुख्य काम बालों को छुपाना और पसीने को टपकने से बचाना है और यह रसोई में शेफ के पद को भी दर्शाती है. टोपी का रंग भी सफेद इसलिए होता है, क्योंकि सफेद रंग में गंदगी आसानी से दिख जाती है. 

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टोपी का अविष्कार कब हुआ था? 

वैसे तो शेफ कैप का इतिहास बहुत पुराना है, लेकिन एक कहानी 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व की है, जब असीरियन राजा अशर्बनिपाल ने अपने रसोइयों को वफादारी और पहचान के लिए खास टोपी पहनाई थी.  क्योंकि अगर आपका रसोइया शाही टोपी पहने हुए है, तो उसे पहचानना आसान हो जाता है और आपको जहर देना उनके लिए मुश्किल हो जाता है. 

मैरी एंटोनी-कारेम ने दिलाई पहचान

मेरिका के ऑगस्ट एस्कोफियर स्कूल ऑफ कलिनरी आर्ट्स के स्पोकपर्सन पैटी थॉमस के मुताबिक, शेफ की ऊंची टोपी को 1800 के दशक की शुरुआत में अपना हाई लेवल फॉर्म मिला था, जिसका श्रेय फ्रांसीसी शेफ मैरी एंटोनी-कारेम को जाता है. मैरी ने सैनिकों की वर्दी से प्रेरित होकर शेफ की टोपी को ऊंचाई, स्टार्स और तेवर दिया था. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, किसी वास्तविक शेफ द्वारा पहनी गई सबसे ऊंची शेफ की टोपी 15 फीट 9 इंच ऊंची थी.
 

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