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Premature delivery: तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं प्रीमैच्योर डिलीवरी के मामले? गर्भवती महिलाएं ऐसे रहें बचकर

भारत में बीते कुछ सालों में प्रीमैच्योर डिलीवरी बढ़ गई हैं. इसके पीछे क्या कारण है और इसके खतरे को कम करने के लिए गर्भवती महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से.

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Premature delivery increasing rapidly: आजकल के समय में प्रीमैच्योर डिलीवरी का या समय से पूर्व जन्म काफी आम हो गया है लेकिन कुछ साल पहले तक प्रीमैच्योर डिलीवरी के मामले काफी रेयर थे. तो ऐसे क्या कारण है जिसकी वजह से प्रीमैच्योर डिलीवरी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं? आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से...

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अगर कोई महिला प्रेग्नेंसी के 37 हफ्ते पूर्व ही बच्चे को जन्म दे देती है तो उसे प्रीमैच्योर डिलीवरी कहा जाता है. पहले प्रीमैच्योर डिलीवरी के सिर्फ 12 फीसदी मामले ही सामने आते थे लेकिन अब यह नंबर तेजी से बढ़ता जा रहा है.

कई कारणों की वजह से प्रीमैच्योर डिलीवरी काफी चिंताजनक है. प्रेग्नेंसी के 37 हफ्ते से पहले बच्चे के कई अंग अंडर डेवलप रहते हैं. जिन बच्चों का जन्म 37 हफ्ते से पहले होता है उन्हें सांस लेने में दिक्कत, फीडिंग से जुड़ी दिक्कतें और कमजोर इम्यूनिटी की समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे बच्चों को आगे चलकर सेहत से जुड़ी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे बच्चों का विकास काफी धीरे होता है,उन्हें दिखाई देने और सुनने की समस्याएं  और अस्थमा की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.

प्रीमैच्योर डिलीवरी के मामले में भारत दुनियाभर में काफी आगे है. इसके लिए जरूरी है कि यहां हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाए, गर्भवती महिलाओं के खानपान का खास ख्याल रखा जाए. इसके साथ ही गर्भावस्था के दौरान सेहत से जुड़े मामलों में भी जागरूकता फैलाई जाए ताकि प्रीमैच्योर डिलीवरी के खतरे को कम किया जा सके.

समय से पूर्व जन्मे बच्चे को काफी ज्यादा मेडिकल केयर की जरूरत होती है, कई बार ऐसे बच्चों को इनक्यूबेटर या वेंटिलेटर पर रखा जाता है जिससे घर वालों को इमोशनली और फाइनेंशियली काफी ज्यादा जूझना पड़ता है.

भारत के कई हिस्सों में समय से पहले जन्मे बच्चों को सही देखभाल ना मिलने की वजह से मृत्यु, विकास में देरी और भविष्य में होने वाली सेहत से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. प्रीमैच्योर डिलीवरी से बचने के लिए बेहद जरूरी है कि मां का खास ख्याल रखा जाए.

प्रीमैच्योर डिलीवरी के कई कारण होते हैं जिसमें से सबसे बड़ा कारण गर्भावस्था के दौरान होने वाली दिक्कतों जैसे हाइपरटेंशन और डायबिटीज है. जब यह समस्याएं बढ़ जाती हैं तो इससे प्रीमैच्योर डिलीवरी के चांसेस भी बढ़ जाते हैं.

इसके अलावा, कुछ लाइफस्टाइल फैक्टर की वजह से भी प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा काफी ज्यादा बढ़ता है, जिसमें स्मोकिंग एक बहुत ही बड़ा कारण है. दूसरा बड़ा कारण प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का खुद का ध्यान ना रखना है.

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रीमैच्योर डिलीवरी के मामले बढ़ने के कई कारण होते हैं जैसे गर्भनिरोधक गोलियां का बहुत अधिक मात्रा में सेवन, मां की उम्र ज्यादा होना और गर्भवती महिला को हाइपरटेंशन या डायबिटीज की समस्या या महिला का जरूरत से ज्यादा मोटा होना.

हेल्थ एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि अधिक उम्र में गर्भवती हुई महिलाओं में प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा काफी ज्यादा होता है. वहीं, अन्य एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्ट्रेस एक बड़ा कारण है जिसकी वजह से प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है.

कैसे रोकें प्रीमैच्योर डिलीवरी ?

प्रीमैच्योर डिलीवरी को रोकना काफी मुश्किल होता है. लेकिन कुछ तरीकों और बचाव के माध्यम से इसे रोका जा सकता है.

जरूरी है कि गर्भावस्था में कोई भी दिक्कत नजर आने पर महिला बिना देर करें तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाए.

जरूरी है कि गर्भवती महिला समय-समय पर अपना चेकअप करवाएं. इसके साथ ही डॉक्टर की ओर से दी गई विटामिन की गोलियों का रोजाना सेवन करें.

प्रीमैच्योर डिलीवरी से बचने के लिए जरूरी है कि गर्भवती महिला अपने खानपान और लाइफस्टाइल का खास ख्याल रखें.

गर्भावस्था के दौरान महिलाएं खुद से किसी भी प्रकार की दवा ना खाएं.

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