'मैं चीनी नहीं खाता क्योंकि वो मोटापा बढ़ाती है'
'गुड़ तो नेचुरल है, इससे कुछ नुकसान नहीं होता.'
'ब्राउन शुगर तो सेहतमंद है'
'ऑर्गेनिक शुगर है, इसलिए ठीक है'
चीनी और गुड़ खाने वालों के मुंह से आपने ऐसे ही ना जाने कितने बहाने सुने होंगे. लेकिन क्या वाकई ऐसा है? इस बारे में लोग अलग-अलग तरह से तर्क देते हैं. गुड़ खाने वाले गुड़ को हेल्दी साबित करने की कोशिश करते हैं तो वहीं चीनी खाने वाले चीनी के नुकसानों का बचाव करते दिखते हैं. हाल ही में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. पाल मणिकम ने इंस्टाग्राम पर चीनी और गुड़ की डिटेल में तुलना करते हुए वीडियो शेयर किया है. वीडियो में उन्होंने गुड़ और चीनी दोनों से जुड़े मिथकों को बताया है.
क्या कहते हैं डॉ. पाल?
डॉ. पाल मनिकम, सर्टिफाइड गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और कैलिफोर्निया स्थित एक क्लिनिक में प्रिवेंटिव गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी के डायरेक्टर हैं. उन्होंने इंस्टाग्राम पर वीडियो में बताया, 'क्या आप जानते हैं कि ब्राउन शुगर को पानी में रखने पर वह सफेद चीनी बन जाती है क्योंकि सारा गुड़ निकल जाता है?'
'गुड़ को अक्सर हेल्दी चीनी के रूप में बेचा जाता है और कई लोग सफेद चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल करते हैं लेकिन आपके शरीर को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, आप चाहे सफेद चीनी खाएं या ब्राउन शुगर. ऑर्गेनिक चीनी खाएं या गुड़.'
'आपका लिवर इन सभी चीनी के रूपों को ग्लूकोज में ही बदलता है जिससे ब्लड शुगर समान रूप से बढ़ती है. अब अगर आप उतनी ही मात्रा में ताड़ से बना नेचुरल गुड़ लेते हैं तो यह रिफाइंड सफेद चीनी से थोड़ा बेहतर है क्योंकि ताड़ के गुड़ का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है यानी यह आपके ब्लड शुगर को धीरे-धीरे बढ़ाता है और आपकी एनर्जी को स्थिर रखता है.'
'इसके अलावा यह पर्यावरण के लिए भी अधिक अनुकूल है क्योंकि ताड़ के पेड़ों को गन्ने की तुलना में कम पानी और कम जमीन की जरूरत होती है. इसमें कुछ एक्स्ट्रा सूक्ष्म पोषक तत्व भी होते हैं.'
'सच तो यह है कि गुड़ स्वादिष्ट है, पारंपरिक है और सफेद चीनी से थोड़ा बेहतर है लेकिन फिर भी यह चीनी ही है. इसे सीमित मात्रा में खाएं और इसे किसी हेल्दी भोजन की तरह न समझें ताकि आप इसका अधिक सेवन कर सकें.'