तम्बाकू के सेवन से न केवल मुंह या फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ता है, बल्कि पुरुषों और महिलाओं दोनों के प्रजनन स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है. यह एक मिथक है कि तम्बाकू से बांझपन नहीं होता, जबकि वास्तव में यह पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या को कम करता है और महिलाओं में अण्डों की गुणवत्ता को प्रभावित करता है जिससे गर्भधारण करना अधिक कठिन हो जाता है जो कि संभावित रूप से बांझपन का कारण बनता है. धूम्रपान शुक्राणु कोशिकाओं में डीएनए को नुकसान पहुंचाता है, और इससे स्तंभन दोष भी हो सकता है.
बांझपन से जूझ रही महिलाओं को अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करने पड़ सकते हैं, हार्मोन वाली दवाएं लेनी पड़ सकती हैं या प्रजनन समस्याओं को दूर करने के लिए विभिन्न ट्रीटमेंट या सर्जरी जैसी प्रक्रियाओं का सहारा लेना पड़ सकता है. कुछ मामलों में, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF), इंट्रा-यूटेराइन इनसेमिनेशन (IUI), या इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) जैसी सहायक प्रजनन तकनीकों की सिफारिश की जा सकती है.
जो पुरुष बांझपन का सामना करते हैं, वे भावनात्मक चुनौतियों का भी अनुभव करते हैं, जिनमें एंग्जाइटी, डिप्रेशन, शर्मिंदगी शामिल हैं. महिलाओं में, धूम्रपान हार्मोन के स्तर को भी बाधित कर सकता है जिससे गर्भधारण करना अधिक कठिन हो जाता है. वास्तव में, गर्भावस्था के दौरान, तम्बाकू का उपयोग जन्म दोष, कम वजन या गर्भपात जैसी गंभीर जटिलताएं ला सकता है.
मेडिकल एक्सपर्ट के मुताबिक, धूम्रपान और वेपिंग दोनों ही प्रजनन क्षमता के लिए समान रूप से हानिकारक हैं. अनुचित रूप से विकसित फेफड़े या कटे होंठ/तालू जैसे जन्म दोष भी संभव हैं, साथ ही अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम का जोखिम भी बढ़ जाता है. स्वस्थ गर्भावस्था (और शिशु) सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं के लिए यथाशीघ्र धूम्रपान छोड़ना महत्वपूर्ण है.
तम्बाकू के उपयोग का एक अन्य दुष्परिणाम मेनोपॉज का शीघ्र शुरू होना है जो महिलाओं की प्रजनन क्षमता को और कम कर देता है. वेपिंग सुरक्षित विकल्प नहीं है क्योंकि इसमें भी हानिकारक रसायन होते हैं जो महिला के शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं. रिसर्चों से पता चलता है कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं को अक्सर धूम्रपान न करने वाली महिलाओं की तुलना में गर्भधारण करने में अधिक समय लगता है.