scorecardresearch
 

क्या आप भी नहीं करते सुबह नाश्ता? बढ़ सकता है हार्ट डिजीज का खतरा

बीते कुछ सालों में इंटरमिटेंट फास्टिंग का ट्रेंड काफी तेजी से बढ़ रहा है. रिसर्चर्स ने पाया कि खाना खाने के समय को कम करने से कई तरह के मेटाबॉलिक बेनेफिट्स होते हैं लेकिन खाने का समय भी मायने रखता है.

Advertisement
X

चीन में हुई एक नई स्टडी में यह बात सामने आई थी कि सुबह का नाश्ता स्किप करने से छोटी आंत की ओर से फैट के अवशोषण पर बुरा असर पड़ता है, जिससे हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ सकता है. इस स्टडी में रात का खाना ना खाना और दोपहर से सूर्योदय तक उपवास रखने की प्राचीन बौद्ध रीति-रिवाजों को मॉर्डन डाइट्री ट्रेंड की तुलना में बेहतर माना गया था. 

Advertisement

इस स्टडी में यह बताया गया कि बीते कुछ सालों में इंटरमिटेंट फास्टिंग का ट्रेंड काफी तेजी से बढ़ रहा है. रिसर्चर्स ने पाया था कि खाना खाने के समय को कम करने से कई तरह के मेटाबॉलिक बेनेफिट्स होते हैं, लेकिन खाने का समय भी मायने रखता है.

स्टडी के को-ऑर्थर झांग जियान ने वीचैट पर यूनिलर्सिटी से एक पोस्ट में कहा, सुबह का नाश्ता ना करने से आंतें फैट के अवशोषण को  सही तरीके से नहीं कर पाती है जिससे चीजों का बैलेंस बिगड़ जाता है. इसके परिणामस्वरूप हार्ट डिजीज का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है. 

छोटी आंत हमारे शरीर की वो जगह होती है जहां से खाना और माइक्रोबायोम से पोषक तत्व खून में अवशोषित होते हैं. यह वह जगह भी है जहां शरीर को मेटाबॉलिक अंगों जैसे कि लिवर से पोषक तत्व प्राप्त होते हैं- फास्टिंग के दौरान यहीं से हमारे शरीर को एनर्जी मिलती है. 

Advertisement

इस स्टडी में, चूहों को या तो खाना दिया गया, भूखा रखा गया या जठरांत्र संबंधी मार्ग की बजाय नसों के माध्यम से खाना दिया गया था. जिन मरीजों की आंतें फेल होती हैं, उन्हें नसों के माध्यम से ही खाना दिया जाता था लेकिन ये इम्यून सिस्टम  और आंतों के फेल होने की स्थिति में ही किया जाता है.

टीम ने कहा था, इन तीनों ही फीडिंग मॉडल्स से हमें यह समझने में मदद मिली थी कि इन तीनों फीडिंग मॉडल्स से अलग-अलग पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है. 

यह पाया गया कि खाने के जरिए छोटी आंत में पहुंचाए गए पोषण से आंतों में इंटिग्रिटी बनी रहती है और इसके साथ ही  शरीर में फुलनेस हार्मोन का उत्पादन होता है. इस स्टडी में प्राचीन बौद्ध रीति रिवाजों की तारीफ की गई, जिसमें बौद्ध भिक्षु दोपहर के बाद सीधे अगले दिन सुबह खाना खाया करते थे. आजकल के समय में इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई वर्जन सामने आ रहे हैं जिसमें 24 घंटों में से सिर्फ कुछ घंटे खाना या हफ्ते में एक पूरे दिन के लिए फास्टिंग करना शामिल है. 

इसमें सबसे ज्यादा फेमस 16/8 का तरीका है, जिसमें व्यक्ति 16 घंटे तक व्रत करता है और आठ घंटे के अंदर खाना खाता है. इसमें कई लोग दोपहर से अपना भोजन करना पसंद करते हैं. टीम ने लिखा कि अमेरिका और जापान में किए गए पिछले अध्ययनों में यह पाया गया था कि नाश्ता न करने से कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है,  ऐसा क्यों होता है,यह अभी भी अस्पष्ट है.

Advertisement

उनकी स्टडी में पाया गया था कि जिन चूहों को सुबह खाना नहीं दिया गया था, उनमें लिपिड और ग्लूटामाइन का ज्यादा अवशोषण हुआ - लेकिन ग्लूकोज का नहीं. शोधकर्ताओं ने कहा, "नाश्ता छोड़ने का असर दोपहर के भोजन या रात का खाना छोड़ने की तुलना में ज्यादा साफ दिखाई देता है. 

Live TV

Advertisement
Advertisement