Plastic chopping board: ज्यादातर घरों में ना केवल प्लास्टिक के बर्तन बल्कि प्लास्टिक के चॉपिंग बोर्ड्स का भी इस्तेमाल किया जाता है. ये बहुत ही हल्के, सस्ते होते हैं और इन्हें इस्तेमाल करते हुए सब्जियां, फल या मीट काटने में आसानी होती है. लेकिन हाल ही में न्यूट्रिशनिस्ट भावेश गुप्ता ने इंस्टाग्राम पर चेतावनी दी कि प्लास्टिक बोर्ड आपके खाने में हानिकारक केमिकल्स और बहुत छोटे माइक्रोप्लास्टिक कण छोड़ सकते हैं. समय के साथ ये आपके पेट में जलन, पाचन की परेशानी और कई तरह की अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती हैं.
जब भी आप प्लास्टिक बोर्ड पर सब्जियां या मीट काटते हैं, तो इसमें से बहुत छोटे प्लास्टिक के कण यानी माइक्रोप्लास्टिक आपके खाने में मिल सकते हैं. न्यूट्रिशनिस्ट भावेश कहते हैं, 'जो लोग रोजाना प्लास्टिक बोर्ड का इस्तेमाल करते हैं, वो हर साल लाखों माइक्रोप्लास्टिक कण निगल सकते हैं. ये शरीर में जमा हो सकते हैं, पेट की हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकते हैं और सूजन बढ़ा सकते हैं.'
रिसर्च से पता चला है कि पॉलीइथाइलीन और पॉलीप्रोपाइलीन बोर्ड पर काटते समय काफी माइक्रोप्लास्टिक निकलते हैं. ये कण आपके खाने में मिलकर पेट के बैक्टीरिया और पूरी हेल्थ को प्रभावित कर सकते हैं.
कुछ प्लास्टिक में BPA और फथलेट्स जैसे केमिल्स होते हैं, जो हार्मोन को प्रभावित कर सकते हैं. इन्हें एंडोक्राइन डिसरपटर्स कहा जाता है. ये केमिकल्स समय के साथ फर्टिलिटी रेड, मेटाबॉलिज्म और ओवरऑल हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकते हैं. बच्चे और युवा लोग इसके प्रति और भी ज्यादा सेंसिटिव होते हैं.
पशुओं पर की गई स्टडी में पता चला है कि माइक्रोप्लास्टिक आंत में सूजन पैदा कर सकते हैं और आंत के अच्छे बैक्टीरिया को प्रभावित कर सकते हैं. कुछ अन्य स्टडी में यह भी पाया गया है कि शरीर में माइक्रोप्लास्टिक दिल के दौरे, स्ट्रोक और लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकते हैं.
प्लास्टिक के चॉपिंग बोर्ड पर बैक्टीरिया पनप सकते हैं, खासकर अगर उन्हें लंबे समय तक इस्तेमाल किया जाए या सही से साफ न किया जाए. रिसर्च में पाया गया है कि प्लास्टिक बोर्ड में लकड़ी के बोर्ड की तुलना में ज्यादा बैक्टीरिया हो सकते हैं. लेकिन ध्यान दें, कोई भी बोर्ड चाहे वह लकड़ी, बैंबू या स्टील का हो. चाकू के कटने के निशानों में कीटाणुओं को पकड़ सकता है.
फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ. बुशरा खान बताती हैं कि प्लास्टिक बोर्ड में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक और केमिकल्स हार्मोन और फर्टिलिटी स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं. उनका कहना है कि जरूरत पड़ने पर BPA-फ्री और अच्छी क्वालिटी का प्लास्टिक बोर्ड इस्तेमाल करें. बोर्ड को डिटर्जेंट से अच्छे से धोएं. बोर्ड को समय-समय पर बदलते रहें. बेहतर हेल्थ और लंबे समय तक इस्तेमाल के लिए लकड़ी, बांस या स्टेनलेस स्टील के बोर्ड चुनें. डॉ. खान का कहना है कि साफ-सफाई और रखरखाव हर तरह के बोर्ड के लिए बहुत जरूरी है.