हर दिन मां के प्यार और देखभाल के लिए शुक्रिया अदा करना चाहिए, लेकिन 'मदर्स डे' (11 मई) एक खास मौका है जब हम खुलकर उन्हें 'थैंक यू' कह सकते हैं. 11 मई को दुनियाभर में 'मदर्स डे' मनाया जाता है. ऐसे में जिन माताओं ने बचपन से हमें अपना सब कुछ देकर बड़ा किया, उनके लिए प्यार और देखभाल जताने का यह एक शानदार दिन है.
अगर आप सोच रहे हैं कि इस बार मां को क्या तोहफा दें, तो यकीन मानिए उनकी सेहत से बेहतर तोहफा कोई हो ही नहीं सकता. अब तक मां ने आपकी सेहत का ख्याल रखा है, अब बारी आपकी है. जैसे-जैसे माताएं 40 से 70 की उम्र में पहुंचती हैं, उनके स्वास्थ्य को खास तरह के ख्याल की जरूरत होती हैं. वे अक्सर पूरे परिवार की देखभाल में लगी रहती हैं, लेकिन अपनी सेहत को नजरअंदाज कर देती हैं. ऐसे में, बच्चों का फर्ज बनता है कि वे मां का साथ दें और उन्हें हेल्दी रखने में मदद करें.
इस आर्टिकल में हम बात करेंगे:
इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए हमने नवी मुंबई, वाशी के फोर्टिस हॉस्पिटल की गायनोकॉलोजिस्ट डॉ. हिना शेख से बात की है. तो आइए, इस मदर्स डे पर मां को सिर्फ फूल या गिफ्ट नहीं, बल्कि एक हेल्दी और खुशहाल जिंदगी का वादा दें.
कैसे बच्चे अपनी मां का ध्यान रख सकते हैं?
जैसे-जैसे मां की उम्र बढ़ती है, उनका ख्याल रखना और जरूरी हो जाता है. बच्चों को चाहिए कि वे उनकी सेहत पर ध्यान दें. सबसे पहले तो समय-समय पर उनका हेल्थ चेकअप कराएं ताकि कोई भी बीमारी समय पर पकड़ में आ सके. मां को घर का हल्का और पौष्टिक खाना दें, और रोज हल्की-फुल्की एक्सरसाइज या वॉक के लिए प्रेरित करें. अगर वो दवाइयां लेती हैं तो उन्हें सही वक्त पर देने का जिम्मा उठाएं. उन्हें अकेलापन न महसूस हो, इसके लिए रोज थोड़ा समय उनके साथ बिताएं, उनसे बातें करें और उनके पसंदीदा कामों में उनका साथ दें.
सबसे जरूरी बात उन्हें हमेशा ये एहसास दिलाएं कि आप उनके साथ हैं, उन्हें प्यार करते हैं और उनका सम्मान करते हैं. यही आपके साथ और प्यार की सबसे सच्ची पहचान है.
मेनोपॉज के दौरान मां को इमोशनली कैसे सपोर्ट करें?
जब मां मेनोपॉज के दौर से गुजरती हैं, तो उनके शरीर और मन में कई बदलाव आते हैं. कभी मूड स्विंग्स, कभी चिड़चिड़ापन या उदासी ये सब होना एक आम बात है. ऐसे वक्त में मां को सबसे ज्यादा जरूरत होती है अपने बच्चों के प्यार, धैर्य और साथ की.
डॉ. हिना कहती हैं, 'मां से धीरे से बात करें, उनकी बातें ध्यान से सुनें और उन्हें ये एहसास दिलाएं कि आप हमेशा उनके साथ हैं. कई बार मां को खुद नहीं पता होता कि मेनोपॉज क्या है. ऐसे में बच्चे उनके लिए सबसे बड़ा सहारा बन सकते हैं. उन्हें इस बदलाव के बारे में समझाएं और जब पीरियड्स अनियमित होने लगें, तो प्यार से उन्हें गायनोकॉलोजिस्ट के पास ले जाने की सलाह दें. इससे ये साफ हो पाएगा कि ये मेनोपॉज है या कोई और हेल्थ इश्यू. मां के इस बदलाव भरे सफर में आपका साथ उन्हें सबसे ज्यादा सुकून और ताकत देगा.'
मेनोपॉज का पता कैसे चलता है? कौन से टेस्ट कराए जाते हैं?
अगर आपकी मां के पीरियड्स अनियमित हो रहे हैं या एक साल से ब्लीडिंग नहीं हुई है, तो ये मेनोपॉज के संकेत हो सकते हैं. लेकिन ऐसा हार्मोनल बदलावों की वजह से भी हो सकता है, इसलिए सही जानकारी के लिए कुछ टेस्ट जरूरी होते हैं.
डॉ. हिना शेख बताती हैं कि मेनोपॉज की पुष्टि के लिए डॉक्टर आमतौर पर ये टेस्ट कराते हैं:
FSH (फॉलिकल-स्टिम्यूलेटिंग हार्मोन) टेस्ट – ये टेस्ट बताता है कि शरीर में पीरियड्स कंट्रोल करने वाले हार्मोन में क्या बदलाव हो रहे हैं.
एस्ट्राडियोल लेवल टेस्ट – इससे शरीर में मौजूद मुख्य फीमेल हार्मोन की मात्रा का पता चलता है, जिससे मेनोपॉज की स्थिति साफ होने में फायदा मिलता है.
ब्लड टेस्ट – शरीर के बाकी हार्मोन और सेहत का अंदाजा देने के लिए किया जाता है. इससे बॉडी में मौजूद हार्मोंस का आसानी से पता लगाया जा सकता है.
सोनोग्राफी– इसमें यूट्रस की लाइनिंग और ओवेरीज के आकार को देखा जाता है. मेनोपॉज में ये पतले और छोटे हो जाते हैं.
इन टेस्ट्स से यह साफ हो जाता है कि आपकी मां मेनोपॉज की स्टेज में हैं या नहीं. समय पर जांच कराने से आगे की सेहत संबंधी तैयारी आसान हो जाती है.
अगर आपकी मां लाख कोशिशों के बाद भी वजन कम नहीं कर पा रही हैं, तो क्या करें?
अगर आपकी मां वजन कम करने की बहुत कोशिश कर रही हैं लेकिन फिर भी कोई फर्क नहीं दिख रहा, तो सबसे पहले उन्हें हिम्मत दें और समझाएं कि हर शरीर अलग होता है और उम्र के साथ वजन कम करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, खासकर मेनोपॉज के बाद.
डॉ. हिना शेख कहती हैं कि 'मेनोपॉज और उम्र बढ़ने के साथ शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है. ऐसे में वजन घटाने के लिए सिर्फ मेहनत नहीं, सही तरीका भी जरूरी है.' उन्होंने कुछ जरूरी सुझाव दिए:
-डिनर सूरज ढलने से पहले कर लें और हल्का खाना खाएं.
-तला-भुना और बाहर का खाना बहुत कम करें.
-क्रैश डाइट या भारी एक्सरसाइज से बचें, इससे नुकसान हो सकता है.
इसके बजाय मां को प्रोत्साहित करें कि वे:
-ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम तेल वाला खाना खाएं.
-रोजाना थोड़ी बहुत वॉक या हल्की एक्सरसाइज करें.
अगर इन सबके बावजूद भी वजन न घटे, तो डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह जरूर लें. हो सकता है थायरॉयड या कोई और हेल्थ प्रॉब्लम वजह हो, जिसका सही इलाज जरूरी है.
मां के लिए कौन-सी एक्सरसाइज सबसे बेहतर है?
डॉ. हिना कहती हैं कि इस उम्र की महिलाओं के लिए वॉकिंग (टहलना) सबसे अच्छी एक्सरसाइज है. अगर आपकी मां हर दिन 45 मिनट से 1 घंटे तक टहलें, तो यह उनके शरीर को एक्टिव रखने का बेहतरीन तरीका है. इसके साथ-साथ प्राणायाम, योगा और हल्की स्ट्रेचिंग भी बहुत फायदेमंद होती हैं. ये एक्सरसाइज न सिर्फ शरीर को चुस्त रखती हैं, बल्कि दिमाग को भी शांत और स्ट्रेस फ्री बनाती हैं.
जहां तक वेट ट्रेनिंग की बात आती है तो इसके लिए डॉ. शेख कहती हैं 'अगर आपकी मां पहले से वेट ट्रेनिंग (जैसे हल्के डंबल्स उठाना) करती रही हैं, तो वे इसे जारी रख सकती हैं इससे हड्डियां मजबूत रहती हैं. लेकिन अगर उन्होंने पहले कभी वेट ट्रेनिंग नहीं की, तो इस उम्र में इसे अचानक शुरू करना ठीक नहीं, इससे चोट लग सकती है.'
जिन माताओं ने पहले कभी एक्सरसाइज नहीं की है, उनके लिए रोजाना की वॉक ही काफी है.
मां के लिए कौन से 5 जरूरी टेस्ट जरूरी?
मिडिल क्लास परिवारों की कई माएं अपनी सेहत को इसलिए नजरअंदाज कर देती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि टेस्ट कराना महंगा है और घर का खर्च बढ़ जाएगा. वे खुद के लिए सोचने की बजाय, परिवार को प्राथमिकता देती हैं. चाहे बात बची रोटी खाने की हो या किसी जरूरी हेल्थ चेकअप को टालने की.
लेकिन डॉ. हिना शेख कहती हैं, 'बच्चों को चाहिए कि वे समय-समय पर अपनी मां का हेल्थ चेकअप जरूर कराएं. ये कुछ जरूरी और बजट फ्रेंडली टेस्ट हैं, जो उनकी सेहत का ख्याल रखने में मदद करेंगे.'
ये 5 टेस्ट जरूर करवाएं:
CBC (Complete Blood Count)
-खून और हीमोग्लोबिन की स्थिति जानने के लिए.
-हर 3 महीने में एक बार कराएं.
HbA1c (शुगर टेस्ट)
-पिछले 3 महीनों की ब्लड शुगर की रिपोर्ट देता है.
-डायबिटीज का खतरा पहले से पकड़ में आ जाता है.
-3 महीने में एक बार कराएं
Lipid Profile
-कोलेस्ट्रोल और दिल की सेहत का हाल जानने के लिए.
-हार्ट अटैक जैसे जोखिम का समय रहते पता चल सकता है.
-इसे भी 3-6 महीने में एक बार कराना अच्छा होता है.
Ultrasound Breast & Pelvis / Mammography
-ब्रेस्ट और महिलाओं के अंगों की जांच के लिए.
-कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का समय रहते पता चलता है.
-ये 2 साल में एक बार जरूर कराएं.
Pap Smear
-सर्वाइकल कैंसर की जांच का सबसे जरूरी टेस्ट.
-इसे 3 साल में एक बार कराना काफी होता है.
ज्यादातर टेस्ट साल में सिर्फ एक बार कराना काफी होता है. अगर कोई रिपोर्ट नॉर्मल न आए, तब ही 3–6 महीने में दोबारा कराएं.
और सबसे जरूरी बात...
डॉक्टर हिना सलाह देती हैं कि सिर्फ शारीरिक नहीं, मां को भावनात्मक सपोर्ट भी दें. उनके साथ बैठें, बातें करें, उनके पसंदीदा कामों में उन्हें शामिल करें और ये जताएं कि वे आपके लिए कितनी खास हैं.
कभी-कभी बच्चों का छोटा-सा ध्यान भी मां की जिंदगी में बहुत बड़ा फर्क ला सकता है. यही असली सेल्फ-लव है — जो पहले हमें मां से मिला, अब उन्हें लौटाने की बारी हमारी है.