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Exclusive: ना प्रोटीन पाउडर, ना इंजेक्शन...आयुष शर्मा ने कैसे किया ट्रांसफॉर्मेशन, कोच ने बताया 'दर्द के आगे जीत' का सीक्रेट

बॉलीवुड एक्टर आयुष शर्मा अपने ट्रांसफॉर्मेशन (Ayush Sharma's transformation) के कारण काफी चर्चा में बने हुए हैं. आयुष का ट्रांसफॉर्मेशन कराने वाले सेलेब्रिटी फिटनेस कोच प्रसाद नंदकुमार शिर्के ने बताया है कि उन्होंने कैसे नेचुरल तरीके से आयुष को ट्रांसफॉर्म किया और किस तरह से डाइट-वर्कआउट रूटीन तैयार किया था.

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आयुष शर्मा का ट्रांसफॉर्मेशन कोच प्रसाद नंदकुमार शिर्के ने कराया है.
आयुष शर्मा का ट्रांसफॉर्मेशन कोच प्रसाद नंदकुमार शिर्के ने कराया है.

'इस दौर ने मुझे सिखाया है कि अच्छी सेहत सिर्फ सिक्स पैक के बारे में नहीं है. यह इस बारे में है कि आपके शरीर के अंदर क्या हो रहा है. अपने शरीर से आने वाली आवाजों को नजरअंदाज न करें और समय रहते कदम उठाएं ताकि अच्छे से रिकवरी हो सके.'

ये कहना है बॉलीवुड एक्टर आयुष शर्मा का. वैसे तो वह काफी फिट एक्टर्स में से गिने जाते हैं लेकिन पिछले कुछ समय से आयुष एक भयानक दर्द से गुजर रहे थे. उनकी फिजिक पहले जैसी नहीं रही थी और वो बेड रेस्ट पर थे. इसका कारण था कि आयुष को पीठ में असहनीय दर्द के कारण हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा और फिर 2 सर्जरी करानी पड़ीं.

आयुष आगे कहते हैं, 'पिछले कुछ समय से, मुझे अपनी पीठ में लगातार दर्द हो रहा था. यह दर्द एक्शन सीन के दौरान एक स्टंट करते समय शुरू हुआ था. मैंने वही किया जो हममें से अधिकतर लोग करते हैं, मैंने उस दर्द को अनदेखा किया, उसे छुपाया और आगे बढ़ता रहा.'

'डांस, स्टंट तो दूर, मैं आसान सा स्ट्रेच भी नहीं कर पा रहा था. जब डॉक्टर के पास गया तो दर्द काफी गंभीर निकला. मेरी सबसे बड़ी गलती रही कि मैंने दर्द को हल्के में लिया और सोचा कि वो अपने आप ठीक हो जाएगा.'

आयुष ने इंस्टाग्राम पर कहा, 

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आयुष की इस पोस्ट के बाद से सोशल मीडिया पर उनके ट्रांसफॉर्मेशन की तस्वीरें वायरल होने लगीं और लोग कॉमेंट करके उनके ट्रांसफॉर्मेशन का सीक्रेट पूछने लगे. बस फिर क्या था, हमने बात की आयुष का ट्रांसफॉर्मेशन कराने वाले सेलेब्रिटी फिटनेस कोच प्रसाद नंदकुमार शिर्के से.

कोच प्रसाद ने हमें बताया कि आयुष जहां स्ट्रेचिंग तक नहीं कर पाते थे, वहां से लेकर हैवी वेट लिफ्टिंग तक उन्होंने किस मेहनत की दम पर नेचुरल तरीके से अपना ट्रांसफॉर्मेशन किया. साथ ही उनकी डाइट और वर्कआउट को किस तरह से डिजाइन किया गया था ताकि उनकी रिकवरी भी हो सकते और मसल्स मेमोरी भी वापिस आ सके. तो आइए डिटेल में जानते हैं...

आयुष की चोट और रिकवरी

कोच शिर्के ने बताया, 'आयुष को पहले मोबिलिटी इश्यू हो गया था. उनके जॉइंट्स पैन करने लगे थे, बॉडी में स्टिफनेस आ गई थी, फिर उनकी जो स्पाइन है उसमें अचानक से सूजन आ गई थी. इन्फ्लेशन इतनी बढ़ गई थी कि उनके फिंगर्स के जो जॉइंट्स हैं, उसमें भी दर्द होने लगा था और उनमें सूजन आ गई थी. मतलब बॉडी में हर जगह सूजन ही सूजन दिखने लगी थी.'

'इससे पहले आयुष की बॉडी काफी अच्छी मस्कुलर थी. वे वहां से नॉर्मल फिजिक पर आ गए थे. उनके मसल्स लॉस हो चुके थे और शरीर एक सामान्य लड़के जैसा दिखने लगा था और चेहरा भी लटक गया था. उनको ऑटोइम्यून डिसीज जैसी तकलीफें शुरू हो गई थीं. फिर इसके बाद उन्हें कुछ इंजुरी हो गई. वो जब सुबह उठते थे तो प्रॉब्लम होने लगी, मूड सही नहीं रहता था यानी कि वे अपने डेली रूटीन के काम भी सही ने नहीं कर पा रहे थे.' 

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'फिर मेरा एक फ्रेंड है जिसने मुझे आयुष के कॉर्डिनेट कराया. मैं जब उनसे मिला तो उन्होंने मेरे सामने सारे इश्यूज रखे और पूछा कि अभी कैसे करेंगे? मैंने उन्हें स्टेप-बाई-स्टेर हर चीज समझाई. उनके पास उनके ब्लड रिपोर्ट्स थे, उनके पास उनका MRI था, एक्स-रे था. फिर जो डॉक्टर्स हैं, उन सबके ओपिनियन्स थे.' 

'हम सभी ने मिलकर डिस्कशन किया और डॉक्टर्स से भी सजेशन लिए कि ये अभी की हालत है और ये मूवी में फिजिक चाहिए. मुझे क्या करना था, बस उनकी लाइफस्टाइल में चैंजेस करना था. फिर उनका एक न्यूट्रिशन प्लान बनाया और वो डॉक्टर्स और आयुष के सामने रखा.' 

'हमने कोई भी शॉर्टकट (इंजेक्शंस, एनाबॉलिक्स) ना देने का फैसला दिमाग में बैठाया और वो भी यही चाहते थे. मैंने उनसे कहा यदि हेल्दी लाइफस्टाइल जीना है तो सिर्फ फिटनेस नहीं चाहिए उसके साथ वेलनेस भी चाहिए. एक्सटर्नल और इंटरनल दोनों तरफ से अच्छा शरीर का मतलब है कि मसल्स के साथ इंटरनल ऑर्गन्स जो हैं वो भी सही रहें.' 

'फिर उनकी लाइफस्टाइल में बहुत सारे बदलाव किए, खाने-पीने में चेंज किया और डाइट में एंटी-इंफ्लेमेट्री फूड एड किए, कुछ एंटी इंफ्लेमेटरी सप्लीमेंट्स एड किए. उनकी स्पाइन सही काम नहीं कर रही थी, उनको बैठते भी नहीं बनता था इसलिए वर्कआउट भी ऐसे डिजाइन किए जिसमें स्पाइन पे लोड नहीं आए.

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'इंजुकी रिहैब और मसल्स मेमोरी को वापिस लगाने में लगभग 2-3 महीने का समय लगा. उनके मसल्स इतनी जल्दी इसलिए आ गए क्योंकि मसल्स मेमोरी अच्छी थी. यदि कोई भी अच्छे न्यूट्रिशन के साथ आगे बढ़ता है और उसके पास मसल्स मेमोरी है तो इतना समय उसके लिए काफी होता है.' 

आयुष की डाइट और सप्लीमेंट

कोच शिर्के ने बताया, 'आयुष को हमनें एंटी-इंफ्लेमेटरी सप्लीमेंट के रूप में रोजाना कच्ची हल्दी का 1 चम्मच जूस पीने को कहा था. जब वो बेड रेस्ट पर थे तो जॉइंट पैन था तो उनकी डाइट को बैलेंस किया था क्योंकि उनकी एक्टिविटी कुछ नहीं थी. जब एक्टिविटी शुरू हो गई तो डाइट चैंज हो गई.'

'प्रोटीन पाउडर नहीं देने का रीजन था कि आयुष का मेटाबॉलिज्म वीक हो गया था जिससे प्रोटीन डाइजेशन इश्यू आ गया था और सबसे बड़ी चीज उनको हाई प्रोटीन डाइट पे नहीं रख सकते क्योंकि उनको लो प्यूरीन फूड देना था क्योंकि उनका यूरिक एसिड भी बढ़ गया था. इसलिए उनको नेचुरल सोर्स से भी प्रोटीन काउंट करके देना था.'

'हेल्दी बैक्टीरिया के लिए वो घर का बना हुआ दही लेते थे और प्रो-बायेटिक लिक्विड लेते थे. जब आयुष हॉस्पिटल में थे तो सिर्फ उनको दो हेवी मील्स और एक नॉर्मल मील लेते थे. लेकिन जब वो हॉस्पिटल से बाहर निकले और जिस दिन वर्कआउट होता था उस दिन 4 सॉलिड मील लेते थे.' 

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'सुबह नाश्ते में तीन एग व्हाइट, एक होल एग, रागी का डोसा-इडली और सलाद खाते थे. सेकंड मील में 150 ग्राम चिकन और थोड़ा सा राइस, सलाद के साथ खाते थे. तीसरी मील में अवोकाडो टोस्ट और 3 अंडे (2 व्हाइट और 1 होल) खाते थे. इसके बाद रात में भी 150 ग्राम चिकन या फिश के साथ चावल और सलाद खाते थे.' 

आयुष का वर्कआउट

'आयुष की जब मेरे से बात हुई तो वो ट्रांसफॉर्मेशन शुरू करने के शुरुआती 2-3 दिन बेड रेस्ट पर थे. फिर जब वे जिम गए तो उन्होंने हल्की फुल्की एक्सरसाइज से वर्कआउट शुरू किया था. हमारा पहला काम उनके मसल्स तक ब्लड पहुंचाना था क्योंकि सूजन ऑलरेडी उनकी बॉडी में थी और अगर ऐसे में हैवी लिफ्ट करते तो सूजन और बढ़ जाती.'

'आयुष की स्पाइन और हिप ज्वाइंट बॉडी वेट का ही लोड नहीं ले पा रहा था तो वर्कआउट का लोड कैसे लेते? इसके लिए उनका ऐसा वर्कआउट डिजाइन किया जिसमें बहुत कम उनके लोअर बैक, स्पाइन और हिप जॉइंट इन्वॉल्व हों.'

'वर्कआउट थोड़ा सा मूड के हिसाब से भी होता था. अगर बहुत ज्यादा दर्द है लोअर बैक में तो हल्का-फुल्का वर्कआउट जैसे चेस्ट, शोल्डर, ट्राइसेप्स कर लिया. कभी दर्द है तो सिर्फ चेस्ट और ट्राइसेप्स ही कर लिया, कभी नहीं है दर्द ज्यादा तो शोल्डर बाइसेप्स ट्राइसेप कर लिया. बैक-बाइसेप्स कर लिया. बैक में भी मिड बैक ही ट्रेन करनी होती थी क्योंकि अगर नीचे आ गए तो दर्द बढ़ जाता.' 

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'उनके 2 महीने में इतने मसल्स आ गए थे क्योंकि आलरेडी मसल्स सिंक हो गए थे. जैसे ही उनका धीरे-धीरे दर्द और सूजन खत्म हुई उन्होंने वर्कआउट की इंटेंसिटी बढ़ा दी और उनको रिजल्ट मिलते गए.'
 

डायरी में नोट होती थी एक-एक चीज

आयुष, उनके डॉक्टर्स और फिटनेस कोच ने एक व्हॉट्सएप ग्रुप बनाया था जिसमें आयुष दिन में जो भी खाते थे, उसकी फोटो क्लिक करके डालते थे. ऐसा करने से कोच और डॉक्टर्स उनकी डाइट पर नजर रखते थे कि वहीं वे कुछ गलत तो नहीं खा रहे हैं. जो डिश बनती थी, उसकी फोटोज क्लिक करके डालते थे, उसके बाद अप्रूवल मिलने के बाद ही वो कुछ भी खा सकते थे. ट्रांसफॉर्मेशन के बाद इस रूल्स को स्ट्रिक्टली फॉलो किया.

इसके अलावा वो कौन सी एक्सरसाइज के कितने सेट्स कर रहे हैं, कितने रेप्स लगा रहे हैं और कितना वजन उठा रहे हैं, हर चीज डायरी में नोट की जाती थी. इसके अलावा उनकी स्लीपिंग साइकिल, स्ट्रेस लेवल भी मॉनिटर किया जाता था. विटामिन, मिनरल्स, एंटी-ऑक्सीडेंट्स आदि पर बारीकी से नजर रखी जाती थी. तब जाकर आयुष का ऐसा ट्रांसफॉर्मेशन हुआ है.

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