मानसून के मौसम में पेट से जुड़ी दिक्कतों का होना बेहद ही आम माना जाता है. मानसून में मौसमी बदलाव के कारण पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है. आयुर्वेद के मुताबिक, वात और कफ दोष में बैलेंस ना होने के कारण मानसून में पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है, जिससे अपच, गैस और पेट फूलने की समस्या हो सकती है. इसके अलावा, गंदे पानी का सेवन करना, तला हुआ खाना खाना और फिजिकल एक्टिविटी ना करने से डाइजेस्टिव सिस्टम स्लो हो जाता है. ऐसे में वात और कफ दोष को बैलेंस करने और पाचन अग्नि को बढ़ाने के लिए जरूरी है कि आप अपनी डाइट में कुछ खास चीजों को शामिल करें. हम आपको कुछ आयुर्वेदिक उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे आपको मदद मिल सकती है.
पेट की समस्याओं से निपटने के लिए इन आयुर्वेदिक उपायों को करें फॉलो
गरम जीरा पानी- जीरा पाचन एंजाइमों को उत्तेजित करने और इंफ्लेमेशन और गैस को कम करने के लिए जाना जाता है. 1 चम्मच जीरा को पानी में उबालें, इसे छान लें और खाने के बाद इसे पिएं. ये ना सिर्फ पेट को शांत करता है बल्कि पाचन अग्नि को बढ़ाकर पाचन में भी सुधार करता है.
हींग का पानी- आयुर्वेद में हींग को काफी फायदेमंद माना जाता है. पेट के लिए इसे काफी अच्छा माना जाता है. गर्म पानी में एक चुटकी हींग को मिलाकर पिएं. इससे गैस, ऐंठन और दर्द में आराम मिलता है. इसे खाना खाने के बाद पीना फायदेमंद साबित हो सकता है.
अजवाइन और सेंधा नमक- अजवाइन अपच और पेट फूलने के लिए काफी अच्छा उपाय माना जाता है. भुनी हुई अजवाइन और एक चुटकी सेंधा नमक चबाएं या इसे पानी में उबालकर पिएं. ये डाइजेस्टिव सिस्टम को ठीक करने में मदद करता है.
अदरक और नींबू की चाय- अदरक मेटाबॉलिज्म और पाचन को बढ़ाता है, वहीं नींबू एक नेचुरल डिटॉक्सिफायर की तरह करता है. इससे आपको भारीपन और पेट फूलने जैसे समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता. कुछ हैवी खाने के बाद इसे पीना फायदेमंद हो सकता है.
खाने के बाद सौंफ- खाने के बाद सौंफ चबाने से पाचन क्रिया को बढ़ावा मिलता है और पेट फूलने की समस्या कम होती है. आप सौंफ की चाय बनाकर भी डाइजेस्टिव सिस्टम को शांत कर सकते हैं और इंफ्लेमेशन को कम कर सकते हैं जिससे गैस बनती है.
सेंधा नमक और पुदीने के साथ छाछ- छाछ एक प्रोबायोटिक रिच ड्रिंक है जो गट हेल्थ को बेहतर बनाता है. पाचन में सहायता करने और पेट को आराम देने के लिए इसमें एक चुटकी सेंधा नमक और पुदीने के पत्ते मिलाएं. ये वॉटर रिटेंशन को कम करने में मदद करता है और इंफ्लेमेशन को कम करता है.