सावन का पवित्र महीना आज यानी 11 जुलाई 2025 से शुरू हो गया है. यह महीना धार्मिक दृष्टिकोण से शिव भक्तों के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, लेकिन ये सिर्फ एक पवित्र महीना नहीं है. दरअसल, यह एक ऐसा समय भी है जब कई लोग अपने खान-पान में बदलाव करते हैं. यूं तो इस महीने में उपवास रखना और नॉन-वेज से परहेज करना आम बात है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस महीने में कढ़ी और साग जैसे देसी फूड्स ना खाने की भी सलाह दी जाती है? यह सुनने में आपको भले ही अजीब लगे, लेकिन इसके पीछे सदियों पुराने कारण हैं, जो डाइजेशन और हेल्थ से जुड़े हैं. क्या आप जानना चाहते हैं कि आपकी पसंदीदा कढ़ी-चावल और साग सावन में क्यों नहीं खानी चाहिए? चलिए जानते हैं.
आयुर्वेद क्या कहता है?
आयुर्वेद के अनुसार, बरसात के मौसम में कुछ फूड्स को खाने से परहेज करने की सलाह देती है. वातावरण में नमी बहुत ज्यादा होती है, जो डाइजेशन से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकती है. कढ़ी, जो खट्टी और पेट के लिए भारी हो सकती है और साग, जिसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है, पचाने में मुश्किल हो सकती है. इसलिए सावन के दौरान इनका सेवन ज्यादा सही नहीं होता है.
कढ़ी पचाना होता है मुश्किल
कढ़ी बेसन और छाछ से बनाई जाती है. सावन में गायें ताजी गीली घास खाती हैं, जिससे छाछ की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है. माना जाता है कि इस मौसम में यह मिश्रण पेट के लिए बहुत ठंडा या भारी होता है और इसे पचाने में मुश्किल होती है.
साग (पत्तेदार सब्जियां) भी होती हैं ठंडी
पालक और सरसों के पत्ते जैसी सब्जयां भी ठंडी मानी जाती हैं. मॉनसून के डाइजेशन बहुत कमजोर रहता है, जिसकी वजह से इन्हें पचाना मुश्किल होता है. इसके साथ ही बारिश के मौसम में पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणुओं भी बहुत ज्यादा पनपते हैं, जिनसे बीमारी फैलने का खतरा होता है. ये कीटाणु हरी पत्तेदार सब्जियों को अपना घर बनाते हैं और आप इन्हें खाने से बीमार भी पड़ सकते हैं.
क्या खाना चाहिए?
सावन के दौरान, लोगों को फल, सब्जियां, साबुत अनाज, ड्राई फ्रूट्स, सीड्स और दूध व घी जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स खाने चाहिए. ऐसा माना जाता है कि ऐसे फूड्स ओवरऑल हेल्थ को बढ़ाने के साथ ही धार्मिक नजरिए से खाने भी अच्छे होते हैं.