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GMR ग्रुप की DIAL जाएगी सुप्रीम कोर्ट, पुष्पांजलि फार्म्स विवाद में दिल्ली HC के आदेश को चुनौती देने की तैयारी

GMR ग्रुप का दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी कर रहा है. यह कदम दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ उठाया जा रहा है, जिसमें GMR ग्रुप के सीएमडी जीएम राव को पुष्पांजलि फार्म्स की 2.45 एकड़ जमीन खाली कर वर्तमान पंजीकृत मालिक ओंकार इन्फोटेक को सौंपने का निर्देश दिया गया है.

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दो कर्मचारियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया.(Photo: Representational)
दो कर्मचारियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया.(Photo: Representational)

GMR ग्रुप के नेतृत्व में चलने वाली दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी कर रही है. हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने GMR ग्रुप के चेयरमैन और DIAL के प्रमुख GM राव को निर्देश दिया कि वे अपना आवासीय परिसर खाली करें और 2.45 एकड़ पुष्पांजलि फार्म्स की जमीन वर्तमान पंजीकृत मालिक ओंकार इन्फोटेक को सौंप दें.
 
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने DIAL की उस दलील को खारिज कर दिया था, जिसमें यह कहा गया था कि ओंकार इन्फोटेक का बेदखली का मुकदमा विचारणीय नहीं है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह जमीन जिसका उपयोग सिर्फ DIAL के CMD के आवासीय प्रयोजन के लिए किया जा रहा है, वो दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम, 1954 की परिभाषा में नहीं आता, क्योंकि इसे कृषि या बागवानी कार्य के लिए उपयोग नहीं किया जा रहा है.

कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि पट्टा अनपंजीकृत था और इसे पट्टे की अवधि के साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता. इसलिए कोर्ट ने DIAL और GM राव को मासिक किरायेदारों के रूप में वर्गीकृत करते हुए बताया कि उनका पट्टा 7 अगस्त 2024 के नोटिस के अनुसार समाप्त हो चुका है.

साल 2020 में पूर्व संपत्ति मालिक इंडस सौर ऊर्जा ने DIAL और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के साथ पुष्पांजलि फार्म्स की जमीन को पट्टे पर देने के लिए एक अनपंजीकृत समझौता किया था. इसके बाद 2024 में ओंकार इन्फोटेक और इंडस ने 115 करोड़ रुपये में पंजीकृत बिक्री विलेख पर हस्ताक्षर किए, जिससे ओंकार इन्फोटेक पुष्पांजलि फार्म्स का वैध मालिक बन गया.

पिछले वर्ष ओंकार इन्फोटेक ने 15 दिन का नोटिस जारी करते हुए DIAL और GM राव से संपत्ति खाली कर शांतिपूर्वक सुपुर्द करने को कहा. उनका तर्क था कि पट्टे की समाप्ति स्पष्ट है और DIAL एवं GM राव का संपत्ति पर कब्जा अवैध है.

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वहीं, DIAL का कहना है कि संपत्ति का एक हिस्सा CMD के आवासीय प्रयोजन के लिए और बाकी हिस्सा कृषि भूमि के रूप में उपयोग में था. DIAL ने यह भी तर्क दिया कि स्पष्ट सीमांकन ना होने के बावजूद पूरी संपत्ति को दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम, 1954 के दायरे से बाहर नहीं रखा जा सकता.

DIAL ने यह भी कहा कि प्रारंभ में जो अनपंजीकृत पट्टा बनाया गया था, वह संपत्ति की खरीद-बिक्री की बातचीत के दौरान किया गया था. साथ ही CMD के रहने के लिए संपत्ति को ठीक करने में भी विशेष खर्चा किया गया था.
 

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