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सुप्रीम कोर्ट में माइक म्यूट कर जजों ने की बात, CJI गवई बोले- आजकल क्लाइंट बहुत नाराज हो जाते हैं...

भारत के मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट में एक मुकदमे की सुनवाई कर रहे थे. उनके साथ बेंच में मौजूद थे जस्टिस के विनोद चंद्रन. इस दौरान जब जस्टिस चंद्रन को जस्टिस गवई से कुछ कहना था तो उन्होंने कोर्ट रूम का माइक माइक म्यूट कर दिया.

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माइक म्यूट करने पर CJI ने कहा कि जस्टिस चंद्रन को मुझसे कुछ कहना था.  (Photo: PTI)
माइक म्यूट करने पर CJI ने कहा कि जस्टिस चंद्रन को मुझसे कुछ कहना था. (Photo: PTI)

चीफ जस्टिस बीआर गवई ने आज सुप्रीम कोर्ट में अदालत के फैसलों के बाद सोशल मीडिया में चलने वाले ट्रेंड पर एक तंज भरी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि आज कल क्लाइंट को जल्दी बुरा लग जाता है. आपके मुवक्किल बहुत नाराज हो जाते हैं. 

जस्टिस गवई ने ये टिप्पणी तब की जब एक केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रन ने कुछ सेकेंड के लिए कोर्ट रूम के माइक को म्यूट (Mute) कर दिया था. इसके बाद जस्टिस गवई अपनी बात रख रहे थे.

मुख्य न्यायाधीश का ये बयान मंगलवार को तब आया है जब सोमवार को उनपर एक वकील ने जूता उछालने की कोशिश की थी. ये शख्स एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान CJI की एक टिप्पणी से नाराज था. 

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को न्यायिक सेवा में पदोन्नति के सीमित अवसरों के कारण एंट्री लेवल के पदों पर नियुक्त होने वाले युवा न्यायिक अधिकारियों के करियर में आने वाले ठहराव से जुड़े मुद्दे की सुनवाई कर रही थी. भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी. 

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इस दौरान जस्टिस चंद्रन को कुछ कहना था. इस दौरान कोर्ट रूम में दूसरे वकील भी मौजूद थे. जस्टिस चंद्रन चाहते थे कि उनके इस बात को सिर्फ साथी जज यानी कि सीजेआई गवई ही सुनें. 

जस्टिस चंद्रन ने अपनी बात कहने से पहले कोर्ट रूम की माइक को म्यूट (Mute) कर दिया और अपनी बात की. 

तब CJI ने जस्टिस चंद्रन के बारे में कहा कि, 'मेरे भाई को कुछ कहना था, लेकिन हमें नहीं पता कि इसकी रिपोर्टिंग कैसे की जाए, इसलिए उन्होंने ये बात सिर्फ मुझसे कही.' 

CJI जस्टिस गवई ने आगे कहा कि, 'आजकल सोशल मीडिया पर हमें कभी नहीं पता होता कि क्या रिपोर्ट किया जाएगा. हो सकता है कि आपका क्लाइंट बहुत नाराज हो जाए.'

पांच जजों की संविधान पीठ को सौंपा करियर में ठहराव का मामला

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को देश भर के निचले न्यायिक अधिकारियों के करियर में ठहराव से जुड़े मुद्दों को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को सौंप दिया.

मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने न्यायिक अधिकारियों की सेवा शर्तों, वेतनमान और करियर प्रगति से संबंधित मुद्दों पर अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया.

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मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका में प्रवेश स्तर के पदों पर शामिल होने वालों के लिए उपलब्ध सीमित प्रमोशन के अवसरों को दूर करने के लिए एक व्यापक समाधान की आवश्यकता है.

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