गुजरात के अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया के विमान हादसे के बाद बोईंग विमानों की सेफ्टी ऑडिट कराए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है.
याचिका में मांग की गई है कि बोइंग विमानों की दो सप्ताह के भीतर सेफ्टी ऑडिट कराई जाए और जबतक बोईंग विमान सेफ्टी ऑडिट में पास नहीं हो जाता तब तक उसको ग्राउंडेड रखा जाए.
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि कमर्शियल फ्लाइट्स में सिविल एविएशन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है.
इस याचिका में एयर इंडिया के अलावा, केंद्र सरकार और नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) को पक्षकार बनाया गया है.
जनहित याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार को एयर इंडिया समेत सभी एयरलाइनों के लिए केबिन उपकरण, इंजन और एयरफ्रेम की समय पर सख्त जांच के लिए नए दिशा-निर्देश तैयार करने का निर्देश दे.
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याचिका में मांग की गई है कि DGCA एअर इंडिया समेत दूसरी एयरलाइनों के पूरे बेड़े ऑडिट करे और ऑडिट की जानकारी को सार्वजनिक करे, साथ ही नियमों का पालन न करने पर एयरलाइंस पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए.
जनहित याचिका में भारत में संचालित सभी विमानों की कडी साइंटिफिक जांच की मांग की गई है.
याचिकाकर्ता ने विमान की सीटों और एयर कंडीशनिंग पर यात्रियों की शिकायतों के बारे में सोशल मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि अगर किसी भी विमान में इन मुद्दों पर शिकायत आती है तो उस विमान को उड़ान भरने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए.
इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने दिल्ली से शिकागो तक एअर इंडिया की बिजनेस क्लास फ्लाइट के अपने खुद के अनुभव को भी साझा करते हुए बताया है कि यात्रा के समय सीटें पीछे की ओर नही झुकीं, एंटरटेनमेंट सिस्टम काम नहीं कर रहे थे, और एयर कंडीशनिंग भी ठीक से काम नहीं कर रहे थे. याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि एयरलाइन ने शिकायत के बाद उसे 10,000 रुपये का मुआवजा देने की पेशकश की थी.