इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ से शुक्रवार को कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक को बड़ी राहत मिल गई. कोर्ट ने अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के तत्कालीन कुलपति प्रो. पीके मिश्रा द्वारा प्रो. विनय पाठक के खिलाफ कराई गई जांच पर रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने प्रो. पाठक द्वारा दायर रिट याचिका पर यह आदेश दिया है.
याचिका में एक फरवरी, 2023 के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( यूजीसी) के 21 नवंबर, 2022 के पत्र का हवाला देते हुए प्रो. पाठक के खिलाफ जांच कमेटी के गठन का आदेश दिया गया था.
यूनिवर्सिटी जांच के लिए अधिकृत नहीं: HC
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पारित अपने अंतरिम आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया न तो यूजीसी ने अपने 21 नवंबर, 2022 के पत्र में यूनिवर्सिटी को जांच के लिए अधिकृत किया है और न ही विश्वविद्यालय अधिनियम का कोई प्रावधान या अन्य कोई भी वैधानिक प्रावधान विश्वविद्यालय को जांच की शक्ति देता है.
इन टिप्पणियों के साथ पीठ ने अगली सुनवाई तक प्रस्तावित जांच पर रोक लगाने का आदेश देते हुए राज्य सरकार, यूजीसी व एकेटीयू को चार हफ्ते में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.
विनय पाठक केस की सीबीआई ही करेगी जांच
पिछले महीने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने विनय पाठक पर दर्ज वसूली केस में सीबीआई जांच का विरोध करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था. डेविड डेनिस नाम के शख्स ने सीबीआई से जांच न कराने को लेकर याचिका दाखिल की थी. उन्होंने हाई कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की मांग की थी, लेकिन वह याचिका दाखिल करने के बाद कोर्ट में बयान दर्ज कराने नहीं जा रहे थे. विनय पाठक पर लखनऊ के इंदिरानगर थाने में डेविड डेनिस ने केस दर्ज कराया था.