देवभूमि के साथ-साथ वीरों की भूमि कही जानी उत्तराखंड की धरती पर रविवार को जब शहीद रुचिन रावत का पार्थिव शरीर पहुंचा तो हर आंख नम हो गई. रुचिन चमोली जिले के गैरसैंण विकासखंड के कुनिगाड गांव के रहने वाले थे. वो 5 मई को एक स्पेशल ऑपरेशन के दौरान जम्मू-कश्मीर के राजौरी में शहीद हुए थे.
रविवार को सेना के अधिकारी सैन्य सम्मान के पार्थिव शरीर को उनके निवास स्थान लेकर पहुंचे. जिसे देखते ही पत्नी, माता, पिता, दादा, दादी व वहां मौजूद लोग फफक-फफककर रो पड़े. पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई. इसके बाद रुचिन को भारतीय नौ सेना में तैनात उनके भाई ने मुखाग्नि दी.
रुचिन के भाई का कहना है कि उन्होंने अपना भाई खोया जरूर है लेकिन उनकी शहादत पर गर्व है. उधर, शहीद के परिवार को सांत्वना देने के लिए क्षेत्रीय विधायक अनिल नौटियाल के साथ-साथ कई वरिष्ठ जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे.
सेना की ओर से सलामी देने आई टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे मेजर ने बताया कि यूं तो सेना का हर जवान साहस और वीरता से भरा रहता है. मगर पैरा कमांडो अपने आप में बहुत ही मुस्तैद और त्वरित कार्रवाई के लिए जाने जाते हैं. रुचिन की शहादत पर उन्होंने कहा कि यह किसी भी सैनिक के लिए सर्वोत्तम छण है.
'रुचिन अमर रहें' के नारो से गुंजायमान हुआ क्षेत्र
इससे पहले पार्थिव शरीर के गैरसैण पहुंचने पर रास्ते में लोगों ने फूलों से पार्थिव शरीर को श्रधांजलि दी. जिस भी जगह से पार्थिव शरीर गुजरा, वो इलाका 'रुचिन अमर रहें' के नारो से गुंजायमान हो गया. वीर सपूत को अंतिम विदाई देने के लिए क्षेत्र के लोगों का समूह उमड पड़ा. रुचिन रावत दो भाई और एक बहन है. दादा, दादी, माता, पिता के अलावा पत्नी और चार साल का बेटा है. रुचिन साल 2011 में सेना में भर्ती हुए थे.
उनकी शहादत पर सबको गर्व है- विधायक
शुक्रवार को 29 साल की उम्र में वो आतंकी हमले में शहीद हो गए. रुचिन के अलावा 4 अन्य जवान भी आतंकी मुठभेड़ में शहीद हुए. कर्णप्रयाग विधायक अनिल नौटियाल ने कहा कि उत्तराखंड वीरों की भूमि है. यहां हर घर में सैनिक है. परिवार का सदस्य बिछड़ा है, इसका सबको दुख है लेकिन उनकी शहादत पर सबको गर्व है.