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21 नहीं अब 1 दिन में पूरी होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा, चिंतित चीन ने नेपाल को बनाया 'मोहरा'

भारत और नेपाल सीमा पर चल रहे विवाद के बीच भारत ने पिथौरागढ़ के धारचूला से लिपुलेख तक सड़क निर्माण कर दिया है. पिछले महीने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सड़क का शुभारंभ किया था जिसके बाद अब इस सड़क को पक्का करने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है.

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले महीने किया था सड़क मार्ग का उद्घाटन (फाइल-पीटीआई)
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले महीने किया था सड़क मार्ग का उद्घाटन (फाइल-पीटीआई)

  • 80 किलोमीटर सड़क को अब पक्का किया जा रहा
  • सेना के लिए भी सीमा तक जाने में होगी आसानी
  • अब 1 दिन में ही पूरी होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा
भारत और नेपाल सीमा पर लिपुलेख और कालापानी पर चल रहे विवाद के बीच उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला से लिपुलेख तक भारत ने 80 किलोमीटर की सड़क बना डाली है, जिससे कैलाश मानसरोवर की यात्रा जो पहले 21 दिन में पूरी होती थी वो अब महज एक दिन में पूरी हो जाएगी.

इस सड़क के बनने से जहां स्थानीय लोगों में उत्साह और खुशी है तो वहीं पड़ोसी मुल्क इस निर्माण से खुश नहीं हैं. उनकी नाराजगी की एक वजह यह भी है कि इस मार्ग के जरिए भारतीय सेना की आवाजाही बेहद आसान हो जाएगी.

भारत और नेपाल सीमा पर चल रहे विवाद के बीच भारत ने पिथौरागढ़ के धारचूला से लिपुलेख तक सड़क निर्माण कर दिया है. पिछले महीने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सड़क का शुभारंभ किया था जिसके बाद अब इस सड़क को पक्का करने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है.

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इस सड़क के बनने से दो चीजें बेहद आसान हो जाएंगी. पहला, सीमा से लगे गांवों के लोगों के लिए आवाजाही सुगम हो जाएगी, दूसरा, सेना को सीमा तक आने-जाने में आसानी होगी.

स्थानीय लोग इस सड़क निर्माण से इसलिए भी खुश हैं क्योंकि उनके अनुसार इस सड़क से उनके व्यापार में भी आसानी होगी.

1816 की सुगौली संधि

साथ ही जिस तरह से नेपाल लिपुलेख और कालापानी पर अपने अधिकार की बात कर रहा है वो वाकई आश्चर्य करने वाला है क्योंकि 1816 की सुगौली संधि के दौरान काली नदी को ही सीमा रेखा मान लिया गया था जिसके बाद से अब तक दोनों देश के बीच सीमा को लेकर कोई भी विवाद नहीं था.

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लेकिन चीन की शह पर नेपाल ने अपने नक्शे में भारतीय क्षेत्र में आने वाले कई जगहों पर अपना कब्जा और अपनी जमीन होने की बात करनी शुरू कर दी है.

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चीन के इस उकसावे के पीछे का मुख्य कारण इस सड़क को माना जा रहा है, क्योंकि भारत के इस सड़क निर्माण से वह बेहद परेशान है. यही कराण है कि चीन नेपाल को उकसा कर भारत पर दबाव बनाना चाहता है.

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