उत्तर प्रदेश के लगभग सोलह लाख राज्य कर्मचारी अपनी सोलह सूत्री मांगों को लेकर 12 नवंबर से हड़ताल पर चले गए हैं. हड़ताल के दौरान कर्मचारियों द्वारा सरकारी दफ्तरों मे कामकाज ठप करने की घोषणा की गई है. हालांकि 16 नवंबर तक आवश्यक सेवाओं को हड़ताल से मुक्त रखा जायेगा.
राज्यकर्मचारी संगठनों का दावा है कि हड़ताल में पचपन से अधिक संगठनों के सोलह लाख से ज्यादा कर्मचारी शामिल हैं. चौबीस हजार डिप्लोमा इंजीनियर भी इनका साथ दे रहे हैं.
शनिवार को प्रमुख सचिव (कार्मिक) राजीव कुमार से बातचीत असफल होने और मुख्य सचिव जावेद उस्मानी से बातचीत नहीं हो पाने के कारण कर्मचारी संगठनों ने सोमवार को हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया.
कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
1. वेतन में असमानता और विसंगतियां दूर करें.
2. केंद्र सरकार के बराबर भत्ता निर्धारित करें.
3. 10, 16 और 26 साल में एसीपी का निर्धारण हो.
4. संविदा कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 11 हजार हो.
5. पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल हो.
6. फील्ड कर्मचारियों को मोटरसाइकिल भत्ता दिया जाये.
7. वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी का पद राजपत्रित घोषित हो.
8. पदोन्नति के लिये 26 प्रतिशत कोटा हो.
9. पीजीआई में मेडिकल सुविधा की नियमावली जल्द बनाई जाए.
उधर मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने सोमवार को राज्य के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक करके हालात की समीक्षा की. मुख्य सचिव ने सभी विभागों के प्रमुख सचिवों को निर्देश दिया है कि कर्मचारियों की जिन मांगो से सरकार पर कोई वित्तीय बोझ नही पड़ रहा है उन्हें तत्काल लागू कर दिया जाये.
हड़ताल के दौरान कानून व्यवस्था पर भी नजर रखने के आदेश जारी कर दिये गये हैं.