पदोन्नति और वेतन में विसंगति दूर करने, मुफ्त चिकित्सा सुविधा, पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने जैसी मांगों के समर्थन में यूपी के राज्यकर्मचारी और प्रदेश सरकार आमने सामने आ गए हैं.
शुक्रवार, 8 नवंबर को प्रमुख सचिव कार्मिक से इस बारे में हुई वार्ता बेनतीजा रहने और अगले दिन मुख्य सचिव से प्रस्तावित बातचीत के टल जाने के बाद राज्यकर्मचारियों ने 12 नवंबर से पूरे प्रदेश में बेमियादी हड़ताल की घोषणा कर दी है.
कर्मचारी नेताओं का दावा है कि हड़ताल में 18 लाख कर्मचारी भाग लेंगे. हड़ताल को सफल बनाने के लिए कर्मचारी सोमवार को सभी जिलों में साइकिल रैली निकालकर जनसमर्थन बटोरने की कोशिश करेंगे.
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद और राज्य कर्मचारी महासंघ के साझ मंच ‘राज्य कर्मचारी अधिकार मंच’ के झंडे तले हो रही इस हड़ताल को प्रदेश में कर्मचारियों के 120 से ज्यादा संगठनों का समर्थन हासिल हो चुका है.
वहीं दूसरी ओर सरकार ने कमिश्नर, डीएम को कर्मचारी नेताओं पर हड़ताल न करने के लिए दबाव बनाने के निर्देश दिए हैं. सरकार ने पिछले डेढ़ साल में कर्मचारियों के हित में लिए गए निर्णयों की प्रति भी इन अधिकारियों के पास भेजी है.
राज्य कर्मचारी अधिकार मंच के पदाधिकारियों को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने रविवार शाम से अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं.
मंच के अध्यक्ष मंडल अजय सिंह और हरिकिशोर तिवारी जिलों के कर्मचारी नेताओं को यह बताने में लगे रहे कि सरकार ने जिन निर्णयों का उल्लेख अधिकारियों को भेजे गए पत्र में किया है उनमें से एक भी मांग उन लोगों की नहीं है.
हरिकिशोर तिवारी बताते हैं ‘ सरकार झूठ बोलकर उनका आंदोलन कमजोर करना चाहती है लेकिन इस बार कर्मचारी आरपार की लड़ाई करने के मूड में हैं. मांगों के निस्तारण के बिना हड़ताल रोकना संभव नहीं है.’