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'बाबू' को काबू करने वाला डीएम का आदेश गायब!

अनुसूचित वर्ग की दुष्कर्म पीड़िता को सरकारी आर्थिक मदद मुहैया कराने के एवज में 'सुविधा शुल्क' मांगने का विरोध करना इतना महंगा पड़ा कि अब उसे चेक मिलना नामुमकिन हो गया है.

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अनुसूचित वर्ग की दुष्कर्म पीड़िता को सरकारी आर्थिक मदद मुहैया कराने के एवज में 'सुविधा शुल्क' मांगने का विरोध करना इतना महंगा पड़ा कि अब उसे चेक मिलना नामुमकिन हो गया है. पीड़िता से फोन पर रिश्वत मांगने वाले समाज कल्याण विभाग के 'बाबू' को काबू करने वाला जिलाधिकारी कंचन वर्मा का आदेश भी गायब कर दिया गया है.

मामला फतेहपुर जनपद के गौरा चुरियारा गांव से जुड़ा है, इस गांव की एक अनुसूचित वर्ग की किशोरी दुष्कर्म की शिकार हुई थी. केन्द्र व राज्य सरकार ने दुष्कर्म की शिकार ऐसी महिलाओं-बच्चियों को समाज कल्याण विभाग के जरिए दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का प्रावधान किया है. पर इसमें यहां विभागीय अधिकारी-कर्मचारी के 'खेल' की एक बानगी देखने को मिल रही है.

जिलाधिकारी कंचन वर्मा की अध्यक्षता वाली समिति ने पीड़िता को दो किस्तों में एक लाख 20 हजार रुपये देने के प्रस्ताव का अनुमोदन मार्च महीने में किया था. समाज कल्याण विभाग के संबंधित लिपिक ने 30 और 31 मार्च को क्रमश: 40 हजार व 20 हजार रुपये के दो अलग-अलग चेक तो बनवा लिए, पर जब पीड़िता 12 अप्रैल को अपना चेक प्राप्त करने पहुंची तो उसे सिर्फ 40 हजार रुपये का एक चेक संख्या- पी 930834709 सीडी 0228950590004613 इस शर्त पर थमा दिया कि 60 हजार रुपये का दस फीसदी कमीशन देने के बाद ही दूसरा चेक दिया जाएगा.

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इस 'बाबू' के कई बार फोन करने पर भी पीड़िता कमीशन देने तो नहीं पहुंची, अलबत्ता एक मई को वह जिलाधिकारी कंचन वर्मा की ड्योढ़ी पर पहुंच कर उनसे मिली और पूरा वाकया उन्हें बताया.

जिलाधिकारी ने पीड़िता से अपनी मौजूदगी में फोन कराया तो संबंधित लिपिक ने उस समय भी कमीशन की मांग की. इससे नाराज जिलाधिकारी ने समाज कल्याण अधिकारी को तलब कर पीड़िता की तहरीर पर अभियोग दर्ज कराने का आदेश दिया और साथ ही बाबू को निलंबित कर दिया.

समाज कल्याण अधिकारी ने अपने बाबू के खिलाफ अभियोग दर्ज कराना उचित नहीं समझा और जिलाधिकारी के आदेश को ही संचिका से गायब कर दिया.

जिलाधिकारी कंचन वर्मा ने बुधवार को बताया, 'पीड़िता मंगलवार को फिर से मिली थी, बाबू के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कराई गई और दूसरा चेक अब तक न दिए जाने की जांच कराई जाएगी.'

उधर, समाज कल्याण अधिकारी पीएन पाठक का कहना है कि एफआईआर दर्ज कराने के संबंध में जिलाधिकारी का कोई भी आदेश उन्हें नहीं मिला. आरोपी बाबू निलंबन के बाद से लखनऊ मुख्यालय से संबद्ध किया जा चुका है.

उन्होंने कहा कि पीड़िता का 20 हजार रुपये का चेक निरस्त हो चुका है, पुलिस अधीक्षक कार्यालय से अनुमति लेकर दोबारा बनवाया जाएगा.

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