scorecardresearch
 

प्रोफेसर विनय पाठक कोर्ट से मिलेगी राहत? 10 नवंबर को सुनवाई करेगी हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच

प्रोफेसर विनय पाठक के वकील ने कोर्ट से नए फैक्ट के साथ एफिडेविट दाखिल करने के लिए 2 और दिन का समय मांगा है. जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोनों पक्षों को अंतिम बार एफिडेविट दाखिल करने के लिए 7 नवंबर तक का समय दिया है.

Advertisement
X
प्रोफेसर विनय पाठक
प्रोफेसर विनय पाठक

कानपुर की छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक पर बिल पास करने के नाम पर कमीशन वसूलने का आरोप लगा है. इस मामले में उन पर केस भी दर्ज किया गया है. उन्होंने अपनी गिरफ्तारी पर रोक और एफआईआर रद्द करने के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की है. जिस पर गुरुवार को सुनवाई हुई. इस दौरान उनके वकील ने कोर्ट से नए फैक्ट के साथ एफिडेविट दाखिल करने के लिए 2 और दिन का समय मांगा है. जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोनों पक्षों को अंतिम बार एफिडेविट दाखिल करने के लिए 7 नवंबर तक का समय दिया है. अब 10 नवंबर को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस राजेश चौहान और विवेक सिंह की बेंच मामले की अगली सुनवाई करेगी.

बता दें कि उत्तर प्रदेश के शिक्षा जगत में विनय पाठक चर्चित नाम हैं. वे इस समय कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज युनिवर्सिटी के कुलपति हैं. विनय को एक ऐसे शख्स के तौर पर माना जाता है जिसने जो चाहा वह किया. उन्होंने असंभव को संभव बना कर काम किए. लेकिन अब विनय पाठक की कमीशन खोरी के चर्चे उत्तर प्रदेश के ब्यूरोक्रेसी से लेकर पुलिस की जांच का हिस्सा बन गए हैं. आइए आपको बताते हैं कि कौन हैं विनय पाठक?

क्या है कमीशन का मामला? 

यह पूरा मामला आगरा के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में हुए प्रिंटिंग वर्क में कमीशन से जुड़ा है. इंदिरा नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाने वाले डिजिटल टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मालिक डेविड एम डेनिस ने आरोप लगाया कि उनकी कंपनी 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. साल 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजी ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. 

Advertisement

साल 2020 से 21 और 21- 22 में कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपये बिल बकाया हो गया था. जनवरी 2022 में अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज विनय कुमार पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की. आरोप है कि एफआईआर दर्ज कराने वाले डेविड डेनिस ने फरवरी 2022 में कानपुर स्थित विनय पाठक के सरकारी आवास पर मुलाकात की और जहां पर 15 फीसदी कमीशन की डिमांड रखी गई.

Advertisement
Advertisement