
औरंगजेब की किताब 'मासिर-ए-आलमगिरी' में काशी विश्वनाथ मंदिर के विध्वंस की जानकारी दी गई है. किताब के मुताबिक, औरंगजेब ने 8 अप्रैल 1669 को बनारस में सभी पाठशालाओं और मंदिरों को तोड़ने का आदेश जारी किया था. 2 सितंबर को औरंगजेब को काशी विश्वनाथ मंदिर टूट जाने की जानकारी मिली थी, यानी बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर को 8 अप्रैल 1669 से 2 सितंबर 1669 के बीच तोड़ा गया था
फारसी में लिखी गई मुगल शासक औरंगजेब की किताब 'मासिर-ए-आलमगिरी' को मुस्ताईद खान ने लिखा था. इसे औरंगजेब की सबसे भरोसेमंद किताब माना जाता है. मुस्ताईद खान ने इसे 1710 ईस्वी में पूरा कर दिया था. इस किताब में औरंगजेब के शासन के 1658 से लेकर 1707 तक की घटनाओं का जिक्र है.
फारसी में लिखी गई इस किताब का अनुवाद सर जदुनाथ सरकार ने किया था. यह किताब एशियाटिक सोसाइटी कोलकाता में भी उपलब्ध है. साथ ही मूल पांडुलिपि भी यहां है. किताब के मुताबिक, औरंगजेब ने 8 अप्रैल 1669 को बनारस में सभी पाठशालाओं और मंदिरों को तोड़ने का आदेश जारी किया था. इसके बाद काशी विश्वनाथ मंदिर टूट जाने की जानकारी भी इस किताब में दी गई है.
किताब 'मासिर-ए-आलमगिरी' का पहला भाग औरंगजेब के जिंदा रहते हुए लिखा गया था. औरंगजेब की मौत के बाद किताब को पूरा किया गया था. ब्रिटिश शासन के दौरान प्रसिद्ध इतिहासकार सर जदुनाथ सरकार ने इसका अनुवाद किया था.
औरंगजेब की किताब का कुछ अंश...
मंगलवार 8 अप्रैल 1669 को ग्रहण लगा था और प्रथा के मुताबिक, प्रार्थना सभा की गई और फिर भिक्षा का वितरण किया गया. इस दौरान औरंगजेब को पता चला कि टेट्टा, मुल्तान के प्रांतों में और विशेष रूप से बनारस में ब्राह्मण अपने स्कूलों में अपनी झूठी किताब पढ़ाते थे. हिंदू और मुस्लिम समुदाय के छात्र दूर-दूर से इनके पास शिक्षा लेने के लिए आते थे. इसके बाद इस्लाम की स्थापना में जुटे औरंगजेब ने सभी प्रांतों के गवर्नरों को हिंदुओं (काफिरों) के स्कूलों और मंदिरों को ध्वस्त करने का आदेश दे दिया. साथ ही हिंदुओं के धर्म के शिक्षण संस्थानों को बंद करने को कहा.
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