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यूपीः तबादलों में नेतागिरी पर हाई कोर्ट नाराज

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी में राजनैतिक हस्तक्षेप पर अधिकारियों व कर्मचारियों के मनमाने तबादले पर कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने मुख्य सचिव से एक अप्रैल 2011 से 31 मार्च 2013 के बीच हुए ऐसे सभी तबादलों की सूची मांगी है. साथ ही निर्देश दिया है कि कानून के विपरीत, मनमाने आदेश जारी करने के ऐसे मामलों की जांच कराई जाए और तबादले के लिए आदेश करने वाले राजनीतिक लोगों के नाम सहित अधिकारियों का नाम इंटरनेट एवं दो समाचार पत्रों में प्रकाशित कराए जाएं.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी में राजनैतिक हस्तक्षेप पर अधिकारियों व कर्मचारियों के मनमाने तबादले पर कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने मुख्य सचिव से एक अप्रैल 2011 से 31 मार्च 2013 के बीच हुए ऐसे सभी तबादलों की सूची मांगी है. साथ ही निर्देश दिया है कि कानून के विपरीत, मनमाने आदेश जारी करने के ऐसे मामलों की जांच कराई जाए और तबादले के लिए आदेश करने वाले राजनीतिक लोगों के नाम सहित अधिकारियों का नाम इंटरनेट एवं दो समाचार पत्रों में प्रकाशित कराए जाएं.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने स्वास्थ्य विभाग में प्रयोगशाला सहायक (ग्रामीण) विनोद कुमार जायसवाल व संदेश कुमार यादव की याचिकाओं पर दिया है. इन दोनों का तबादला दूसरे जिलों से देवरिया किया गया जहां पद ही खाली नहीं थे. हाई कोर्ट ने मामले में विपक्षी अधिकारियों पर 50 हजार रुपये हर्जाना भी लगाया है. मामले में निदेशक स्वास्थ्य से हलफनामा मांगा गया था.

प्रभारी निदेशक की ओर से पेश किए गए हलफनामे में ही यह तथ्य सामने आया कि 2013-2014 में स्वास्थ्य विभाग में प्रयोगशाला सहायकों के 178 तबादले नीतिगत हैं, जबकि लगभग सौ तबादले मंत्रियों, राज्य मंत्रियों व विधायकों की सिफारिश पर किए गए. हलफनामे में यह भी जानकारी दी गई कि 59 तबादले स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य राज्यमंत्री, 17 तबादले अन्य विभागों के मंत्रियों और 31 तबादले विधायकों व विधान परिषद सदस्यों के निर्देश पर किए गए. कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वे पता लगाएं कि राज्य में ऐसा कैसे हो रहा है? राजनीतिक हस्तक्षेप से हुए तबादलों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात भी कोर्ट ने कही है.

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