वाराणसी में कोरोना वायरस की महामारी से जनता त्रस्त है. हर दिन सामने आ रहे नए मामले नया रिकॉर्ड बना रहे हैं. आम आदमी की कौन कहे, जीवन बचाने की जिम्मेदारी जिस स्वास्थ्य महकमे के कंधे पर है, उसके अधिकारी भी कोरोना वायरस के शिकार हो रहे हैं. ऐसे हालात में वाराणसी के स्वास्थ्य विभाग में असंतोष अब खुलकर सामने आ गया है.
वाराणसी जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी और सीएचसी) के प्रभारियों ने पद से इस्तीफा दे दिया है. जिले सभी पीएचसी और सीएचसी के प्रभारियों ने बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) दफ्तर पहुंचकर सीएमओ डॉ. वीबी सिंह को सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया.
सीएमओ डॉक्टर वीबी सिंह को सौंपा प्रभारी पद से इस्तीफा
पीएचसी और सीएचसी के प्रभारियों ने आरोप लगाया कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन में सामंजस्य नहीं है. चिकित्साधिकारियों ने डिप्टी कलेक्टर पर धमकी देने का भी आरोप लगाया है. प्रभारी चिकित्साधिकारियों ने कहा है कि डिप्टी कलेक्टर अनावश्यक दबाव बनाकर कार्य करवा रहे हैं.
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उनका आरोप है कि कोरोना के नोडल अधिकारी डिप्टी कलेक्टर ने 9 अगस्त को एक पत्र लिखा था, जिसमें अब तक किए गए कार्यों को अपर्याप्त बताया गया था. डिप्टी कलेक्टर ने अनावश्यक दबाव बनाते हुए सभी प्रभारियों को दोषी ठहराया और लक्ष्य पूरा न होने को आपराधिक कृत्य बताते हुए मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दी.
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अपने इस्तीफे में पीएचसी और सीएचसी के प्रभारियों ने सीएमओ को संबोधित करते हुए यह भी लिखा है कि 23 जुलाई को आपकी ओर से मिले पत्र में कोरोना के कारण हुई मौतों के लिए सभी प्रभारियों को जिम्मेदार ठहराते हुए जवाब मांगा गया है.
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प्रभारी चिकित्साधिकारियों ने आरोप लगाया है कि अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (डिप्टी सीएमओ) डॉक्टर जंग बहादुर को बर्खास्त करने की धमकी दी गई थी. आज उनकी मौत हो गई. कोरोना के कारण हुई डॉक्टर जंग बहादुर की मौत को लेकर भी सवाल उठाया गया है कि उनकी मौत किन परिस्थितियों में हुई और इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?
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गौरतलब है कि वाराणसी के डिप्टी सीएमओ डॉक्टर जंग बहादुर की कोरोना संक्रमण के उपचार के दौरान बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के सर सुंदरलाल अस्पताल में मौत हो गई थी. उन्हें कोरोना संक्रमण की पुष्टि के बाद उपचार के लिए आईसीयू में भर्ती कराया गया था.