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कोरोना लॉकडाउन में फिल्टर हुई प्रकृति, वाराणसी में सुधरी गंगा की सेहत

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक न केवल गंगा की सेहत सुधरी है बल्कि बनारस की आबोहवा भी पहले से बेहतर हो गई है.

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न केवल गंगा की सेहत सुधरी बल्कि बनारस की आबोहवा पहले से बेहतर हुई (फोटो-रोशन जायसवाल)
न केवल गंगा की सेहत सुधरी बल्कि बनारस की आबोहवा पहले से बेहतर हुई (फोटो-रोशन जायसवाल)

  • यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में सुधार
  • वायु और गंगा नदी में प्रदूषण में आई कमी

कोरोना लॉकडाउन के दौरान एक सबसे अच्छी बात ये हुई है कि प्रकृति फिल्टर हो गई है. ऐसा हम नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट कह रही है. रिपोर्ट के मुताबिक न केवल गंगा की सेहत सुधरी है बल्कि बनारस की आबोहवा भी पहले से बेहतर हो गई है.

लॉकडाउन में जब देशवासी अपने में घर की चारदीवारी में कोरोना को कोस रहे थे तो उसी वक्त प्रकृति खुद को प्यूरीफाई कर रही थी. इसका सबसे अच्छा उदाहरण वाराणसी में देखने को मिला. न केवल गंगा प्रदूषण में बल्कि बनारस के वायु प्रदूषण में भी हैरान करने वाला सुधार दर्ज किया गया.

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यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी बताते हैं कि वाराणसी में पर्यटन ठप पड़ जाने से और श्रद्धालुओं के भी न आने के चलते सीवेज लोड में 15-20 एमएलडी की कमी आई है. लोगों की आवाजाही न होने के चलते गंगा में डिजॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा विगत वर्षों की तुलना में अच्छी पाई गई है और बीओडी भी कम हुआ है.

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उन्होंने बताया कि डिजॉल्व ऑक्सीजन तो कभी कभी गंगा में अपस्ट्रीम चौंकाने वाला 12 तक मिला जो 6 के ऊपर ही अच्छा माना जाता है तो वहीं डाउनस्ट्रीम में भी लॉकडाउन में 8 से ऊपर पाया गया. जो बीओडी तीन से कम होनी चाहिए थी वो 2.1 से 2.2 तक अपस्ट्रीम में आ गई है.

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अधिकारी ने बताया, वरुणा नदी मिलने के बाद डाउन स्ट्रीम में बीओडी 3.1 से 3.2 आई है. जहां तक गंगा के रंग का सवाल है तो पिछले वर्षों में यह रंग जहां 10 हेजन से ऊपर रहा करता था वे 5-10 हेजेन के बीच मिला है. लॉकडाउन के दौरान गंगा की गुणवत्ता में पिछले वर्षों की तुलना में काफी अच्छे नतीजे सामने आए हैं.

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उन्होंने आगे बताया कि वाराणसी में वायु प्रदूषण की 90 प्रतिशत वजह विकास कार्यों के चलते है. लॉकडाउन के पहले काफी बड़े निर्माण कार्य पूर्ण हो चुके थे और जो कुछ चल भी रहे थे वे लॉकडाउन में बंद हो गए. एक बड़ी वजह वाहनों का न चलना भी रहा है। इन सभी कारणों से वाराणसी में वायु प्रदूषण का स्तर या तो मॉडरेट रहा है या संतोषजनक. इसमें कोई संदेह नहीं है कि जल और वायु की गुणवत्ता में लॉकडाउन के दौरान काफी सुधार आया है.

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