यूपी में अखिलेश सरकार के राज में यश भारती पुरस्कार बांटने में जमकर भाई-भतीजावाद हुआ. 2012 से 2017 के बीच इस सम्मान को दोस्तों, अफसरों, नेताओं और घर वालों को रेवड़ियों की तरह बांटा गया . अखिलेश सरकार के पांच साल के कार्यकाल में करीब 200 लोगों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इस फेहरिश्त में कई ऐसे नाम हैं, जिनकी सिफारिश CM ऑफिस , मुलायम सिंह यादव और अखिलेश कैबिनेट के मंत्रियों अफसरों ने किया. बता दें कि यूपी सरकार के यश भारती सम्मान के तहत 11 लाख रुपये की एकमुश्त पुरस्कार राशि और 50 हजार रुपये प्रति माह पेंशन दिए जाने का प्रावधान है.
ये खुलासा इंडियन एक्सप्रेस ने आरटीआई के जरिए मांगी गई जानकारी के आधार पर किया है. रिपोर्ट के मुताबिक अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान यश भारती पुरस्कार पाने वालों में नेताओं के दोस्त, अफसर, और समाजवादी पार्टी के छोटे-बड़े नेताओं के परिजन तक शामिल हैं. रिपोर्ट में विभिन्न श्रेणियों के तहत पुरस्कार पाने वालों के नाम की अनुशंसा और संबंधित क्षेत्र में उनकी उपलब्धियां काबिलेगौर हैं. यश भारती पुरस्कार आधिकारिक तौर पर सूबे के संस्कृति मंत्रालय के तहत दिया जाता था.
आरटीआई के खुलासे के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया सामने आई हैं. आजमगढ़ में अपने फैसले को जायज ठहराते हुए उन्होंने कहा कि अब केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकारें हैं आप भी अपने लोगों को अवॉर्ड दे सकते हैं. इतना ही नहीं अखिलेश ने पेंशन की राशि पचास हजार रुपये से बढ़कर एक लाख रुपये तक करने की मांग की.
मंत्रियों की सिफारिश पर यश भारती
सूचना के अधिकार के जरिए मिली जानकारी के अनुसार कम से कम 21 लोगों को सीधे सीएम कार्यालय में आवेदन भेजने के बाद यश भारती पुरस्कार दिया गया था. इतना ही नहीं कई ऐसे नाम भी शामिल हैं, जिनकी सिफारिश समाजवादी पार्टी के नेताओं ने की थी. इनमें अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव, चाचा शिवपाल यादव, पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान, अखिलेश सरकार में मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया जैसे नाम शामिल हैं. सम्मान पाने वाले कुछ लोगों ने खुद ही अपने नाम का प्रस्ताव भेजा.
पार्टी से जुड़े लोगों में बटी रेवड़ी
समाजवादी पार्टी की पत्रिका समाजवादी बुलेटिन के कार्यकारी संपादक अशोक निगम, समाजवादी पार्टी के सांस्कृतिक सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष काशीनाथ यादव, दिवंगत एसपी नेता मुरलीधर मिश्रा के बेटे मणिन्द्र कुमार मिश्रा सहित कई नाम हैं जिन्हें यश भारती नवाजा गया है. इनमें दिवंगत कांग्रेसी नेता जगदीश मतानहेलिया की बेटी शिवानी मतानहेलिया भी शामिल थी.
20 साल की उम्र वाले लड़की को भी यश भारती
यश भारती पाने वाली 20 वर्षीय स्थावी अस्थाना सबसे युवा अवॉर्डी हैं. बता दें कि अस्थाना के पिता हिमांशु कुमार आईएएस रैंक के अफसर हैं और उस वक्त यूपी सरकार के प्रधान सचिव थे. स्थावी को जब अवॉर्ड मिला वह एनएलयू दिल्ली में कानून की पढ़ाई कर रही थी. उसे घुड़सवारी के लिए खेल के लिए यश भारती दिया गया.
अफसरों ने अपनों की दिलाया अवॉर्ड
यूपी के मुख्य सचिव रहे आलोक रंजन की पत्नी सुरभि रंजन को भी यश भारती पुरस्कार दिया गया. अखिलेश के कार्यकाल में सीएम के ओएसडी रहे रतीश चंद्र अग्रवाल ने खुद ही अपने नाम की सिफारिश की थी. इसके अलावा सैफई महोत्सव कार्यक्रम का संचालन करने वाली अर्जना सतीश के नाम की अनुशंसा लखनऊ के तत्कालीन एडीएम जय शंकर दुबे ने की थी.
मुलायम ने शुरू किया था यश भारती
गौरतलब है कि यश भारती पुरस्कार की स्थापना अखिलेश यादव के पिता और यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव ने 1994 में मुख्यमंत्री रहते हुए की थी, लेकिन बाद में बीएसपी और बीजेपी सरकारों ने ये पुरस्कार बंद कर दिए थे. 2012 में अखिलेश यादव सरकार के आने के बाद दोबारा शुरू किया गया और पुरस्कार राशि 11 लाख रुपये कर दी गई. सूबे की मौजूदा योगी आदित्यनाथ सरकार यश भारती पुरस्कारों की समीक्षा कर रही है.