राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे पर आए संकट को लेकर तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) चुनाव आयोग पहुंच चुकी हैं. दोनों पार्टियों ने चुनाव आयोग से गुहार लगाई है कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव तक आयोग उनके राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे पर कोई फैसला न करे.
दरअसल, इसी साल लोकसभा चुनाव के खत्म होने के बाद चुनाव आयोग ने वोट और सीट का नियत प्रतिशत हासिल न कर पाने पर टीएमसी और सीपीआई से पूछा था कि क्यों न उनका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया जाए? निर्वाचन आयोग के नोटिस पर टीएमसी और सीपीआई ने चुनाव आयोग में जवाब दायर कर कहा कि राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस लेने की प्रकिया पर 2024 के लोकसभा चुनाव तक कोई रिव्यू न किया जाए.
इससे पहले बीएसपी और आरजेडी को भी 2014 के आम चुनाव में फिसड्डी प्रदर्शन करने पर निर्वाचन आयोग ने दर्जा निरस्त करने का नोटिस भेजा था. तब भी इन दोनों पार्टियों ने आयोग से गुहार लगा कर मोहलत मांगी थी. ऐसे मामले में अमूमन आयोग मोहलत दे देता है.
निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के मुताबिक किसी राजनीतिक पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा तभी मिलता है जब उसके उम्मीदवार लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार या अधिक राज्यों में कम से कम छह प्रतिशत वोट हासिल करें. ऐसी पार्टी के लोकसभा में भी कम से कम चार सांसद होने चाहिए. साथ ही कुल लोकसभा सीटों की कम से कम दो प्रतिशत सीट होनी चाहिए और इसके उम्मीदवार कम से कम तीन राज्यों से आने चाहिए.
मौजूदा वक्त में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), बीएसपी, सीपीआई, माकपा, कांग्रेस, एनसीपी और नेशनल पीपल्स पार्टी ऑफ मेघायल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है.