भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण व्यवस्था लागू किए जाने के बयान को खारिज करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि बंगाल में हम कभी नागरिक पंजीकरण व्यवस्था (NRC)लागू नहीं होने देंगे.
तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि हमलोग बंगाल में किसी राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण रजिस्टर व्यवस्था लागू करने की अनुमति कभी नहीं देंगे. भाजपा लोगों को धार्मिक और सांप्रदायिक आधार पर बांटना चाहती है. हम ऐसा कभी नहीं होने देंगे.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अलीपुरद्वार में एक रैली में कहा था कि हम एनआरसी बंगाल में भी लाएंगे और घुसपैठियों को खदेड़ देंगे. उन्होंने कहा कि हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि हिंदू शरणार्थियों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो क्योंकि वे लोग हमारे देश का हिस्सा हैं. चटर्जी की टिप्पणी शाह के इस बयान के बाद आई है.
राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें असम के वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम शामिल हैं. हालांकि, पिछले साल जारी किए गए पूर्ण मसौदे के बाद यह बेहद विवादास्पद मुद्दा बन गया, जिसमें उन लोगों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं जो कई दशकों से राज्य में रह रहे हैं. चटर्जी ने शाह को चुनौती देते हुए कहा कि वह आम चुनाव में प्रदेश में एक भी सीट जीत कर दिखाएं.
उन्होंने कहा कि हम भाजपा को चुनौती देते हैं और वो राज्य में एक सीट भी जीतकर दिखाएं. पार्थ चटर्जी ने कहा कि मैं आप सबको आश्वस्त करा सकता हूं कि भाजपा न तो प्रदेश में एक सीट जीतेगी और न ही केंद्र में सत्ता में वापस लौटेगी. देश और बंगाल की जनता ने मोदी को उखाड़ फेंकने का मन बना लिया है.
क्या है एनआरसी
NRC यानी कि नेशनल रजिस्टर ऑफ पॉपुलेशन से पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक हैं और कौन नहीं. असम में रह रहे जिन लोगों के नाम इस रजिस्टर में शामिल नहीं होगा, उन्हें अवैध नागरिक माना जाएगा. इस रजिस्टर में 25 मार्च, 1971 से पहले असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है. 30 जुलाई को राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण के दूसरे और अंतिम मसौदे को कड़ी सुरक्षा के बीच जारी किया गया था. इस ड्राफ्ट के मुताबिक 2 करोड़ 89 लाख लोग असम के नागरिक माने गए हैं जबकि यहां रह रहे 40 लाख लोगों का नाम इस सूची में नहीं है.