उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त एक समिति ने देश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को अक्षम और भ्रष्टाचार से भरपूर करार दिया है.
समिति ने कहा है कि भारी भ्रष्टाचार, कालाबाजारी तथा अफसरशाही, राशन दुकानदारों और दलालों के बीच जो एक गठजोड़ बना हुआ है, उसके चलते पीडीएस व्यवस्था पूरी तरह भ्रष्ट और अक्षम साबित हो रही है.
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायधीश न्यायमूर्ति डी पी वधवा की अध्यक्षता वाली केंद्रीय सतर्कता समिति ने शीर्ष अदालत को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सब्सिडी पर सालाना 28,000 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाती है. पर वास्तव में यह पैसा कुछ अनुचित लोगों की जेब में चला जाता है.
समिति ने पीडीएस में भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के लिए कड़े कदम उठाने का सुझाव दिया है. समिति ने कहा है कि पीडीएस की पूरी श्रृंखला में भ्रष्टाचार है. यह एक बड़ी समस्या है. समिति के अनुसार, ‘पीडीएस व्यवस्था अक्षम तथा भ्रष्ट है. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दिए जाने वाले अनाज की कालाबाजारी होती है और बड़े पैमाने पर इसे इधर-उधर किया जाता है.
सब्सिडी वाला खाद्यान्न गरीबों तक नहीं पहुंच पाता, जिन्हें इसकी जरूरत है. गरीबों को उचित मात्रा में गुणवत्ता वाला पीडीएस खाद्यान्न नहीं पहुंच पाता है.’ समिति के अनुसार, उचित दर दुकानदार जाली और फर्जी राशन कार्डों के बारे में जानते हैं और वे इसका इस्तेमाल पीडीएस के खाद्यान्न की कालाबाजारी के लिए करते हैं.