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विकलांगों के लिए समग्र कानून लाने का प्रस्ताव

सरकार ने कहा कि विकलांगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक समग्र कानून लाने का प्रस्ताव है जिसके लिए विशेषज्ञों की समिति गठित कर दी गयी है. साथ ही 2011 की जनगणना में इस वर्ग की सही संख्या का पता लगाने के लिए सरकार ने भारत के महापंजीयक से बातचीत की है.

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सरकार ने कहा कि विकलांगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक समग्र कानून लाने का प्रस्ताव है जिसके लिए विशेषज्ञों की समिति गठित कर दी गयी है. साथ ही 2011 की जनगणना में इस वर्ग की सही संख्या का पता लगाने के लिए सरकार ने भारत के महापंजीयक से बातचीत की है.

राज्यसभा में विकलांग जनों के बारे में एक ध्यानाकषर्ण प्रस्ताव के जवाब में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मुकुल वासनिक ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून में संयुक्त राष्ट्र विकलांग जन अधिकार संबंधी समझौते (यूएनसीआरपीडी) के प्रावधानों की भावनाओं का ख्याल रखा जाएगा.

वासनिक ने कहा कि प्रस्तावित कानून का मसौदा बनाने के लिए इस साल 30 अप्रैल को विशेषज्ञों एवं इस क्षेत्र के विभिन्न पक्षों को शामिल करते हुए एक समिति का गठन किया गया था.

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उन्होंने स्वीकार किया कि 2001 जनगणना में देश में बतायी गयी विकलांगों की संख्या 2.19 करोड़ इस वर्ग की सही आबादी को प्रतिबिंबित नहीं करती तथा सरकार ने भारत के महापंजीयक से इस संदर्भ में बातचीत की है ताकि 2011 की जनगणना में इस वर्ग की सही संख्या का पता लग सके.

वासनिक ने कहा कि समाज का विकलांग वर्ग दया नहीं बल्कि अधिकारों की मांग कर रहा है. संप्रग सरकार इस वर्ग का उनके सारे अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है.

विकलांगता प्रमाण पत्र हासिल करने में कठिनाइयों के बारे में कई सदस्यों द्वारा ध्यान दिलाए जाने पर उन्होंने कहा कि इसकी प्रक्रिया को सरल एवं विकेंद्रित किया गया है. उन्होंने कहा कि अब विकलांगजनों को मेडिकल बोर्ड की जगह चिकित्सा प्राधिकारियों से भी प्रमाण पत्र मिल सकता है.

उन्होंने कहा कि इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी गयी है तथा कई राज्यों ने अपने कानून में बदलाव किया है एवं अन्य राज्यों से इस संबंध में बातचीत की जा रही है. वासनिक ने कहा कि एक अनुमान के तहत देश में केवल 35 प्रतिशत अशक्त जनों को ही विकलांगता प्रमाण पत्र मिल पाए हैं और शेष 65 प्रतिशत इससे वंचित हैं.

{mospagebreak}उन्होंने कहा कि देश में 16 लाख लोग विकलांग पेंशन के लाभार्थी हैं. उन्होंने बताया कि सरकारी विभागों में विकलांगों के खाली पदों को भरने के लिए एक विशेष अभियान चलाया गया है तथा पिछले छह सात महीनों में ऐसे 796 लोगों को नियुक्त किया गया है.

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विकलांगजनों के लिए शिक्षा के मकसद से उपयुक्त कानून लाए जाने की कई सदस्यों के सुझाव पर उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्री के साथ विचार विमर्श करेंगे.

इससे पूर्व विकलांगों की संबंध में सरकार से स्पष्टीकरण मांगते हुए अधिकतर सदस्यों ने समाज में इस वर्ग के साथ हो रहे भेदभाव, शिक्षा एवं रोजगार में उपयुक्त आरक्षण नहीं मिलने, स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव, विकलांगता प्रमाण पत्र मिलने में परेशानी जैसे मुद्दे उठाए.

माकपा की वृंदा करात ने कहा कि विकलांगों को समाज में विभिन्न भेदभावों का शिकार होना पड़ता है. उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि आज तक किसी भी व्यक्ति को विकलांगों के साथ भेदभाव करने का दोषी ठहराया गया है. उन्होंने विकलांगों को मुफ्त शिक्षा एवं निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं, बीपीएल श्रेणी के तहत राशन सुविधाएं देने तथा सार्वभौमिक पहचान पत्र जारी करने का सुझाव दिया.

भाजपा के पीयूष गोयल ने कहा कि हमें अपनी मूल्यप्रणाली में विकलांगों का सम्मान करने की भावना विकसित करनी होगी तभी हम इस वर्ग की पीड़ाओं को समझ सकेंगे. उन्होंने कहा कि कानून में मानसिक विकलांगता की परिभाषा को स्पष्ट बनाए जाने की जरूरत है.

भाकपा के आर सी सिंह ने जहां बौनों को भी विकलांग श्रेणी में शामिल करने का सुझाव दिया वहीं राजद के रामकृपाल यादव ने कहा कि सरकार को अपने स्तर पर विकलांगों के प्रशिक्षण के लिए गंभीर प्रयास करने चाहिए.

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विकलांगों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं पर शिवेसना के मनोहर जोशी, भाजपा के अविनाश राय खन्ना, मनोनीत श्याम बेनेगल और माकपा के पी राजीव ने भी सरकार से विभिन्न स्पष्टीकरण मांगे.

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