इंडिया स्किल रिपोर्ट 2019 के अनुसार, इंजीनियरिंग के छात्रों के अंदर पेशे में प्रवेश करते समय अधिकतम 57 फीसदी में ही रोजगार योग्य प्रतिभा होती है. इस आंकड़े के आने के बाद ज्यादातर छात्र अप्रेंटिसशिप कार्यक्रमों में ट्रेनिंग के लिए आगे आते दिख रहे हैं.
दरअसल, भारत में कंपनियों को मशीनों के साथ काम करने वाले अपने कर्मियों को पेशे में प्रवेश के दौरान प्रशिक्षण देना पड़ता है क्योंकि उन लोगों में प्रशिक्षण की कमी दिखाई देती है. यही कारण है कि लोगों को पहले दिन से यह सिखाना पड़ता है कि मशीनों के साथ कैसे काम किया जाए. वर्तमान समय में अधिकांश कंपनियां अपने द्वारा नियुक्त लोगों को प्रशिक्षित करने में बहुत समय और पैसा खर्च करती हैं, क्योंकि उन्हें मशीनों के साथ काम करने का कोई पूर्व अनुभव नहीं होता.
इसी कारण, कई कंपनियों ने अपने स्वयं के प्रशिक्षुता कार्यक्रम शुरू किए हैं ताकि व्यक्ति अपनी शिक्षा पूरी करते हुए ही प्रशिक्षण भी प्राप्त कर सकें. इससे इन छात्रों को उन मशीनरी के बारे में जानकारी होने में मदद मिलती है जिनके साथ वे पेशे की शुरुआत करते हैं.
एक देश को अपने उत्पादन और मूल्य को बढ़ाने के लिए अधिक कौशल आधारित होने की आवश्यकता है. एक कौशल-आधारित देश सबसे हताश परिस्थितियों में भी जीवित रहने की क्षमता रखता है. हालांकि, वर्तमान लोगों में प्रशिक्षण की कमी देखी जाती है. इस कमी को ध्यान में रखते हुए, कंपनियों ने नए आकर्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं जो सीखने के दौरान कमाई की पेशकश भी करते हैं.
बॉश
बॉश के प्रशिक्षुता कार्यक्रम के तहत, लोगों को कंपनी के व्यावसायिक केंद्र में प्रशिक्षित किया जाता है, जहां उन्हें बेसिक और एडवांस ट्रेनिंग के माध्यम से पढ़ाया जाता है. उन्होंने बुनियादी प्रशिक्षण के बाद औद्योगिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है. प्रशिक्षुओं को 10वीं क्लास पास करने के तुरंत बाद चुना जाता है. इसके बाद पहले वर्ष में उन्हें बुनियादी प्रशिक्षण से गुजरना होता है, जिसके बाद वे दूसरे वर्ष में नौकरी उन्मुख प्रशिक्षण और औद्योगिक जोखिम के तहत चीजों को सीखते हैं.
इस दौरान प्रशिक्षुओं को-मल्टी-स्किलिंग में भी दक्ष बनाया जाता है, उन्हें सटीकता और उच्च गुणवत्ता वाले काम करने के लिए तैयार किया जाता है. मशीनरी के साथ काम करने के प्रत्येक पहलू को सीखने के लिए छात्र कक्षाओं, प्रयोगशालाओं और कार्यशालाएं का भरपूर उपयोग करते हैं. छात्रों को एक उचित वजीफा भी प्रदान किया जाता है. इस तरह छात्रों को अच्छे शैक्षणिक कौशल सिद्धांत के साथ-साथ बेहतर व्यावहारिक ज्ञान भी प्रदान किया जाता है.
वोक्सवैगन
वोक्सवैगन मैकेनिक मेक्ट्रोनिक्स और वेल्डिंग दो क्षेत्रों में छात्रों को ट्रेंड करता है. इस ट्रेनिंग कार्यक्रम में आवेदन के लिए 10वीं कक्षा में गणित और विज्ञान में कम से कम 70 फीसदी और बाद के लिए 10वीं कक्षा में कम से कम 60 फीसदी अंक प्राप्त होना चाहिए. एप्टीट्यूड टेस्ट से गुजरने के बाद प्रशिक्षु (अपरेंटिस) अपना कोर्स शुरू करते हैं.
कोर्स के दौरान उन्हें स्टाइपेंड भी मिलता है. मैकेनिक मेक्ट्रोनिक्स कोर्स तीन साल का है और वेल्डिंग कोर्स दो साल का है. इसके तहत प्रशिक्षुओं को ऑटोमोबाइल उद्योग के उन्नत तकनीक के उपयोग के साथ एक अद्वितीय प्रशिक्षण पद्धति के तहत ट्रेंड किया जाता है.
आरएस इंडिया
यह कंपनी एक अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम की पेशकश करके एक कदम आगे की ओर बढ़ रही है जो 100 फीसदी प्रायोजित है. यह छात्रों को औपचारिक कौशल विश्वविद्यालय में व्यावसायिक पाठ्यक्रम में डिग्री प्रदान करने के साथ-साथ आरएस इंडिया में संयुक्त उद्यम में प्लेसमेंट की गारंटी देता है. स्विट्जरलैंड के एसआरएम यांत्रिकी एजी की भारतीय कौशल विकास विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी है.
इसके तहत छात्रों को 3 साल का उद्योग में काम करके सबसे अधिक इन-ट्रेंड कौशल विकसित करने के साथ साथ व्यावसायिक योग्यता (बैचलर इन वोकेशनल ट्रेनिंग) प्राप्त होती है. B.Voc के पूरा होने के बाद विश्वविद्यालय से, इस शिक्षुता कार्यक्रम के तहत, छात्रों को दुनिया की अग्रणी मशीन निर्माण कंपनियों के साथ काम करने और सीखने का मौका भी मिल सकता है.
बता दें कि छात्रों को आरएस इंडिया से 100 फीसदी छात्रवृत्ति मिलती है. पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद, छात्रों को बी.वोक के साथ सम्मानित किया जाता है. इसके बाद पेशेवर कर्मी के रूम में आरएस इंडिया द्वारा काम पर रखा जाता है. पाठ्यक्रम के बाद छात्रों को स्टाइपेंड भी प्रदान किया जाता है. छात्रों को आरएस इंडिया के स्विस पार्टनर एसआरएम एजी के लिए कुछ हफ्तों के प्रशिक्षण के लिए जाना पड़ सकता है.
छात्र इनमें से किसी भी प्रशिक्षुता कार्यक्रम में आवेदन कर सकते हैं और अन्य कंपनियों द्वारा पेश किए गए कार्यक्रमों को भी देख सकते हैं. इस ट्रेनिंग कार्यक्रमों के तहत उन्हें कुशल बनने और विशेषज्ञता के साथ मशीनरी के साथ काम करने में मदद मिलती है.