समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर विधि आयोग की रिपोर्ट आने में अभी और देर लगेगी. आयोग के सूत्रों के मुताबिक समय की कमी की वजह से यूनिफॉर्म सिविल कोड पर विधि आयोग की रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई है.
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बलबीर सिंह चौहान की अध्यक्षता में गठित 21वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त को समाप्त हो रहा है. आयोग का कहना है कि इस पर रिसर्च के काम में और समय लगेगा. साथ ही आयोग की तरफ से पर्सनल लॉ पर कई पक्षों से अभी बातचीत होना बाकी है. जबकि आयोग ने कुछ पक्षों से बैठक कर उनकी राय जानी है.
जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता में गठित आयोग को समान नागरिक संहिता में सुधार के सिलसिले में मुस्लिम, हिंदू, ईसाई, पारसी और अन्य मतों के मानने वाले लोगों के पर्सनल लॉ को भी देखना है. वहीं सूत्रों का ये भी कहना है कि सरकार आयोग का कार्यकाल बढ़ाने पर भी विचार कर रही है.
समान नागरिक संहिता के सिलसिले में विभिन्न धर्मों और मतों के पर्सनल लॉ के तहत विवाह, तलाक, विरासत और सम्पत्ति बंटवारे के नियम होते हैं. चूंकि मुस्लिम पर्सनल लॉ से जुड़े अहम मुद्दों, बहुविवाह और तलाक या हलाला आदि पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है जिसमें विधि आयोग ने फिलहाल हाथ नहीं डाला है. इसीलिए आयोग ने इस बीच बाकी धर्मों और मतों के अधिनियमों पर तो रिसर्च किया पर मुस्लिम पर्सनल लॉ पर सिर्फ कुछ नुमाइंदों से मुलाकात भर की है. ऐसे में देरी की एक वजह यह भी है.
बता दें कि समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) पर विधि आयोग राजनीतिक दलों से लेकर सामाजिक और धार्मिक संगठनों से सुझाव मांग रहा है. इसी क्रम में 31 जुलाई को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नुमाइंदों ने आयोग के अध्यक्ष से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा था. मीटिंग के बाद बोर्ड के प्रतिनिधि ने दावा किया कि विधि आयोग ने अगले 10 साल तक देश में समान आचार संहिता लागू करने की संभावनाओं से इनकार किया है.