भारत में सोमवार को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर चंद्र ग्रहण लगा जो रात 10 बजकर 10 मिनट पर खत्म हो गया. इसको हम सुविधा की दृष्टि से ग्रहण जरूर कह रहे हैं पर तकनीकी दृष्टि से ये ग्रहण की श्रेणी में नहीं आता. अत: इसमें सूतक, स्नान, वेध आदि का विचार नहीं होगा.
ये माद्य चंद्र ग्रहण है जिसमें चंद्रमा पर पृथ्वी की हल्की छाया पड़ती है, इस कारण चंद्रमा की सफेदी पर हल्की मलिनता आ जाती है परन्तु चंद्रमा को ग्रहण नहीं लगता. अत: ये चंद्रग्रहण बहुत अधिक अच्छे या बुरे प्रभाव नहीं देता, सूर्य ग्रहण के प्रभावों में अधिकता या कमी जरूर कर सकता है.
ये पूर्णमासी के दिन की छाया ग्रहण इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अतिचारी मंगल उदित हो रहा है और सूर्य, मंगल, बुध, बृहस्पति तथा राहू एक साथ मकर राशि में पंच ग्रह योग बना रहे हैं. चंद्रमा केतु के साथ योग कर रहा है. इस युति से अलग-अलग राशियों के लोगों को सावधान रहना चाहिए और कुछ विशेष उपाय करने चाहिए.
यह घटना वृष, कुंभ, कन्या तथा तुला राशि के बुरे प्रभावों को कम करेगी व शुभ प्रभावों को बढ़ाएगी, जबकि मेष कर्क धनु तथा सिंह राशि के शुभ प्रभावों में कमी करेगा. मिथुन, वृश्चिक, मकर तथा मीन राशि के लिए ये ग्रहण सम है. अर्थात जो प्रभाव बृहस्पति तथा शनि के गोचर ने दिए हैं या सूर्य ग्रहण से होगा, उन्हें ये सुधारेगा या बिगाड़ेगा नहीं बल्कि वैसा ही रहने देगा. पर कोई भी राशि हो, सबके लिए इस चंद्र ग्रहण का लाभ बुहत बताया गया है. इस प्रकार का चंद्रग्रहण सोच विचार के लिए बहुत उत्तम होता है.
इस प्रकार के ग्रहण में नीतियां बनानी चाहिए. ऐसे ग्रहण में ईष्ट की अराधना करनी चाहिए तथा ध्यान, एकाग्रता आदि पाने का प्रयास करना चाहिए. विद्यार्थियों तथा साधकों को तो 8 बजे से 10 बजकर 10 मिनट तक ईष्ट की आराधना या ध्यान जरूर करना चाहिए. कंबल पर या चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर पूर्व से उत्तर की ओर कहीं भी मुंह करके 'ऊं' का जाप या अपना जो भी मंत्र आप करना चाहें उसे करना प्रारंभ करें या आग की लौ पर या अपने ईष्ट के चरणों पर या अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित कर अपनी प्रार्थना में चलें जाएं. हां देश और नेताओँ के लिए भी व समाज के लिए भी प्रार्थना में एक जगह जरूर दें क्योंकि समय कठिन है.