हाल ही में नरेंद्र मोदी ने गुजरात में हैट्रिक बनाई है और उनके समर्थक उन्हें प्रधानमंत्री के पद पर देखना चाहते हैं. गुजरात में तो मोदी का सिक्का चलता है, अब लगता है कि मोदी की ब्रांडिंग पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के गढ़ से शुरू हो गई है.
उत्तर प्रदेश से यूं तो नरेंद्र भाई मोदी का कोई सीधा नाता नहीं है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठतम नेता अटल बिहारी वाजपेयी के 88वें जन्मदिन (25 दिसम्बर) से एक दिन पहले बीजेपी प्रदेश कार्यालय और शहर में कई स्थानों पर लगे होर्डिंग तथा बैनर पर अटल के समकक्ष लगी मोदी की बड़ी तस्वीर इस बात की ओर इशारा कर रही है कि संघ और बीजेपी ने मोदी की ब्रांडिंग अटल के गढ़ से ही करने का मन बना लिया है.
गुजरात में हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनावों में हैट्रिक लगाने वाले मुख्यमंत्री मोदी को बीजेपी अब राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी भूमिका के लिए तैयार कर रही है. पार्टी के पदाधिकारी तो हालांकि सीधे तौर पर अपना मुंह नहीं खोलना चाहते, लेकिन दबी जुबान में वह भी लखनऊ में मोदी की धमक से इंकार नहीं कर रहे.
अटल के 88वें जन्मदिवस पर यूं तो शहर में एक दिन पहले से ही कार्यक्रमों एवं शुभकामनाओं का दौर शुरू हो गया है, लेकिन असल चर्चा का विषय अटल की तस्वीर के साथ नजर आ रही मोदी की बड़ी तस्वीर है. राजनीतिक जानकारों की नजर में मोदी की इस तस्वीर के कुछ तो मायने हैं.
राजनीतिक विश्लेषक राशिद खान ने कहा, ‘लखनऊ नवाबों की नगरी है और यह अटल जी की परम्परागत लोकसभा सीट भी रही है. वह हमेशा यहीं से लड़े और यहां के लोगों ने उन्हें ढेर सारा प्यार भी दिया.’
खान ने कहा, ‘मोदी की तस्वीर इससे पहले लखनऊ की सड़कों पर नजर नहीं आई. मैं यह तो नहीं कह सकता कि मोदी को अटल के समकक्ष खड़ा किया जा रहा है, लेकिन हां, ऐसा लगता है कि संघ के इशारे पर बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें एक बड़ी भूमिका में तैयार करने के प्रयास में जुटी हुई है.’
अटल के जन्मदिवस की शुभकामनाओं वाली होर्डिंग्स पर मोदी की बड़ी तस्वीर लगी है और उस पर लिखा है- 'बड़े लक्ष्य की है तैयारी, अब है राष्ट्रधर्म की तैयारी.' तो क्या मोदी का राष्ट्रधर्म निभाने का समय आ गया है?
मोदी की तस्वीरों को लेकर आउटलुक पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार कुमार पंकज कहते हैं, ‘बीजेपी में मोदी के कद का अब कोई नेता नहीं रह गया है, इसलिए लोकसभा चुनावों के मद्देनजर बीजेपी ने मोदी की अलग छवि पेश करनी शुरू कर दी है.’
मोदी भले ही अभी गुजरात को सम्भालने की बात कर रहे हों और बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व भी मोदी की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को लेकर चुप्पी साधे हुए है, लेकिन लखनऊवासियों को लग रहा है कि मोदी की होर्डिंग और उस पर लिखे वाक्य यूं ही नही हैं.
लखनऊ से बीजेपी के सांसद लालजी टंडन ने कुछ दिनों पहले ही मोदी के यहां से चुनाव लड़ने का संकेत दे दिया था. एक सवाल के जवाब में टंडन ने कहा था कि यदि मोदी लखनऊ से चुनाव लड़ना चाहेंगे तो वह उनकी मदद और समर्थन करेंगे.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अस्वस्थ होने और वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के वृद्घ होने के मद्देनजर संघ और बीजेपी लम्बे समय से किसी ऐसे चेहरे की तलाश में जुटे थे, जो इन दोनों नेताओं की कमी कुछ हद तक पूरी कर सके.
शहर में लगी मोदी की तस्वीरों पर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने बताया, ‘गुजरात जाने से पहले ही मोदी राष्ट्रीय नेता थे. मोदी ने वहां जाकर विकास को मुद्दा बनाया और जीत हासिल की. देश का आम आदमी और कार्यकर्ता भी मोदी को बड़ी भूमिका में देखना चाहता है, इसलिए कार्यकर्ताओं ने अपनी भावनाएं व्यक्त की है.’
अटल के जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रमों पर गौर करें तो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कलराज मिश्र, प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी सोमवार से ही अलग-अलग कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे तो लखनऊ से विधायक सुरेश तिवारी उनके जन्मदिन पर 125 किलोग्राम लड्डू चढ़ाकर अपनी शुभकामना दे रहे हैं.