सीबीआई अदालत ने करप्शन के मामले में पूर्व केद्रीय मंत्री पीके थुंगन को साढ़े तीन साल कारावास की सजा सुनाई है. इससे पहले केस की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बीते बुधवार उन्हें दोषी करार दिया था. थुंगन एक अन्य मामले में पहले से ही जेल में हैं.
सरकारी दुकानों के गलत आवंटन का मामला
थुंगन को इस बार वर्ष 1993-94 में सरकारी दुकानों को गलत तरीके से रिश्तेदारों को आवंटित करने के मामले में उन्हें सजा सुनाई गई है. वहीं जज संजीव अग्रवाल ने मामले में दो अन्य आरोपियों लहकपा तेसरिंग और कृष्णा को आरोप मुक्त कर दिया था. जिस समय यह फर्जीवाड़ा हुआ, उस समय थुंगन शहरी विकास मंत्री थे. आरोपियों में पूर्व रोजगार मंत्री शीला कौल और तुलसी बलोडिया भी शामिल थे.
थुंगन अरुणाचल के सीएम भी रह चुके हैं
थुंगन अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. उन्हें आपराधिक षड़्यंत्र, ऐंटी करप्शन ऐक्ट, सरकारी पद का दुरुपयोग करने जैसी धाराओं में दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई गई है.
1993 से जून 1994 के बीच पहुंचाया फायदा
सीबीआई ने इस मामले में वर्ष 1996 में केस दर्ज किया था. इसमें कहा गया कि थुंगन के अलावा कौल, तेसरिंग, कृष्णना व बलोडिया ने षड्यंत्र रचा और साल 1993 से जून 1994 के बीच मनमाने तरीके से कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी दुकानें आवंटित कर दीं थीं.
रिश्तेदारों और दोस्तों को फायदा पहुंचाया
सीबीआई ने दलील दी कि कौल और थुंगन ने विश्वासघात किया और अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को फायदा पहुंचाया. इस पूरी डील का जनहित के कार्यों से कोई सरोकार नहीं था. तीन दुकानों को बिना टेंडर प्रक्रिया को पूरा करे ही आवंटित कर दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मुकदमा
मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीबीआई को जांच का आदेश देने के बाद मुकदमा दर्ज किया गया था. मामले में मार्च 2009 में आरोप तय किए गए थे. गौरतलब है कि थुंगन को जुलाई 2015 को सरकारी खातों में हेराफेरी के मामले में साढ़े चार साल की सजा सुनाई गई थी.