भारत में कोरोना संक्रमण के जंग में 'केरल मॉडल' सबसे कारगर साबित हो रहा है. कोरोना संक्रमण से कुछ दिनों पहले तक सबसे अधिक मामलों से जूझ रहे केरल ने तेजी से इस पर कंट्रोल किया है. 30 मार्च को केरल में कोरोना के 222 मामले थे, जो 7 अप्रैल की दोपहर तक 327 तक ही पहुंच सके थे. वहीं, अभी तक केरल से पीछे रहने वाले राज्यों में इस दौरान दो से छह गुना तक कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं. ऐसे में देश के बाकी राज्यो के लिए भी कोरोना को काबू करने में केरल सरकार की ओर से उठाए गए कदम बेहद कारगर साबित हो सकते हैं.
बता दें कि केरल सरकार ने पहला मामला आने से पहले ही 26 जनवरी को कोरोना से निपटने के लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित कर लिया था. क्वारनटीन से लेकर आइसोलेशन और कॉन्टेक्ट खोजने के काम के लिए 18 समितियों का गठन कर दिया था. देश में पहला मामला 30 जनवरी को केरल में आया और एक-एक करके कुल तीन केस हो गए थे और ये तीनों ही लोग फरवरी में स्वस्थ हो गए थे. इसके बावजूद केरल की पिनराई विजयन सरकार ने सतर्कता में कमी नही आने दी.
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की सरकार ने कोरोना संकट से निपटने और लोगों की मदद के लिए 20,000 करोड़ रुपए के वित्तीय पैकेज की घोषणा की है. सब्सिडाइज़्ड भोजन, मनरेगा, लोन सहायता, टैक्स में छूट सहित लोगों को दो महीने की वेलफेयर पेंशन एडवांस में देने का कदम उठाया. इसके अलावा राज्य में 1000 फूड स्टाल्स में 20 रुपए के सस्ते रेट पर भोजन उपलब्ध कराने और तमाम परिवार को सरकार की ओर से आर्थिक मदद जैसे कदम उठाए गए.
कोरोना पर फुल कवरेज के लिए यहां क्लिक करें
कोरोना संक्रमण के जांच में भी केरल सबसे आगे हैं. पूरे देश में 66 हजार लोगो की जांच हुई इसमें से 10 हजार जांच अकेले केरल में हुई हैं. इतना ही नहीं केरल पुणे की एक निजी लैब से रैपिड-पीसीआर किट खरीदने वाला देश का पहला राज्य है. साबुन से हाथ धोने की आदत डालने के लिए सरकार ने ब्रेक द चेन कैंपेन की शुरुआत की. इसमें लोगों को दिन में कई बार साबुन से हाथ धोने को कहा गया. इसके अलावा सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर वॉश बेसिन लगवाए.
राज्य सरकार ने केरल के सभी हवाईअड्डों को जिला अस्पतालों और आपातकालीन कार्य सेवा से जोड़ने का काम किया. इसके अलावा किसी भी यात्री को बुखार या कोरोना के लक्षण दिखने पर उसे तुरंत हवाईअड्डे से अस्पताल भेजा गया. सड़क मार्ग से राज्य में आने वाले लोगों की जांच के लिए डॉक्टर और चिकित्साकर्मियों को लगाया गया. इसके अलावा सरकार ने विदेश से लौटे लोगों के रक्तदान पर रोक लगाने के सख्त निर्देश भी दिए.
कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें...
केरल सरकार ने राज्य में में संदिग्धों या विदेशों से आए लोगों को 14 दिन की बजाय 28 दिन क्वारनटीन में रखा ताकि मरीजों की पहचान हो. अभी तक केरल में एक लाख 70 हजार से अधिक लोगों को घरों में क्वारनटीन करके रखा गया है. हालांकि डब्ल्यूएचओ ने महज 14 दिनों की अवधि तक रखने का सुझाव दिया था.
कोरोना संक्रमण की रोकथाम में भी निजी अस्पतालों ने बढ़-चढ़कर सहयोग किया. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के निर्देश पर केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा खुद उन जिलों में पहुंची थीं. जहां कोरोना से संक्रमित मरीजों को भर्ती किया गया था. राज्य सरकार स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ दिन में दो बार समीक्षा बैठक कर स्थिति का जायजा किया औरचिकित्सकों को स्थिति से निपटने के लिए जरूरी कदम उठाने की छूट दी गई.