झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रमुख शिबू सोरेन ने इस बात से दो टूक इनकार किया कि उन्होंने बुधवार को कोलकाता में माओवादियों के समर्थन में कुछ भी कहा था.
शिबू सोरेन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मीडिया ने मेरी बात समझी नहीं और मेरी बात को तोड़ मरोड़ कर पेश किया है. मैने माओवादियों के समर्थन में एक शब्द भी नहीं कहा है.’ कोलकाता में शिबू सोरेन ने कहा था कि वह माओवादियों के आंदोलन एवं संघर्ष के समर्थक हैं सिर्फ वह उनकी हिंसा को उचित नहीं मानते हैं.
शिबू सोरेन ने कहा कि संभवत: कोलकाता में पत्रकारों के बांग्ला एवं अंग्रेजी में पूछे गये सवालों और मेरी हिंदी के जवाबों में आपस में कोई गलतफहमी हो गयी होगी. संवाददाता सम्मेलन में मौजूद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और झामुमो नेता हेमलाल मुर्मू ने शिबू सोरेन की बातों को और स्पष्ट करते हुए बताया कि कोलकाता में वह भी गुरूजी के साथ मौजूद थे और वहां गुरू जी ने ऐसी कोई बात नहीं कही थी.
मुर्मू ने कहा कि गुरूजी ने सिर्फ इतना कहा था कि वह लोगों के आंदोलन का समर्थन करते हैं लेकिन वह किसी भी तरह की हिंसा करने वालों का समर्थन नहीं करते हैं. उनकी बातों को पत्रकारों ने शायद ठीक से समझा नहीं.
उन्होंने पश्चिम बंगाल की वामपंथी सरकार पर ‘हरमद वाहिनी’ के माध्यम से आदिवासियों गरीबों अल्पसंख्यकों तथा पिछड़ों पर अत्याचार के भी आरोप लगाये. उन्होंने आरोप लगाया कि गरीब आदिवासी तो ‘हरमद वाहिनी’ और ‘आपरेशन ग्रीन हंट’ के बीच ऐसे फंस गये हैं जैसे वह कुंए और खाई के बीच में फंसे हों.
शिबू सोरेन ने साफ किया कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि पश्चिम बंगाल में माओवादी नहीं हैं लेकिन बात सिर्फ इतनी है कि शिकार सिर्फ गरीब बनता है न कि माओवादी बनते हैं. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के राज्यपपाल से मिलकर झामुमो ने अपनी चिंताओं से उन्हें अवगत करा दिया है और उनसे आग्रह किया है कि वह यह सुनिश्चित करें कि गरीबों और आदिवासियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न हो.
उन्होंने कहा कि राज्यपाल से उन्होंने ‘हरमद वाहिनी’ और ‘ग्रीन हंट’ में मारे गये निर्दोष लोगों के परिजनों को दस लाख रुपए और गंभीर रूप से घायलों को आठ लाख तथा घायलों को पांच लाख रुपए की सहायता राशि देने की मांग की है.
उन्होंने इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस से कोई बातचीत करने की अफवाह से इनकार किया और कहा कि इस मामले में हमारी राय अलग है.