scorecardresearch
 

एम एफ हुसैन पर दायर मामले वापस लेने की याचिका खारिज

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सरकार को यह निर्देश देने से इनकार कर दिया कि वह खाड़ी देश में रह रहे स्वनिर्वासित चित्रकार एमएफ हुसैन की वापसी सुनिश्चित करने और उनके खिलाफ चल रहे मामले वापिस लेने के लिए कदम उठाए.

Advertisement
X

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सरकार को यह निर्देश देने से इनकार कर दिया कि वह खाड़ी देश में रह रहे स्वनिर्वासित चित्रकार एमएफ हुसैन की वापसी सुनिश्चित करने और उनके खिलाफ चल रहे मामले वापिस लेने के लिए कदम उठाए.

मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस संबंध में दायर एक याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिसमें न्यायालय से सरकार को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह 95 वर्षीय चित्रकार के खिलाफ दायर तमाम आपराधिक मामले वापस लेकर उनकी स्वदेश वापसी सुनिश्चित करे. न्यायालय ने याचिका दायर करने वाले से अपनी याचिका वापस लेने के लिए कहा और साथ ही पूछा ‘अगर वह दोहा में हैं, तो समस्या क्या है.’

हुसैन ने हाल ही में अपना भारतीय पासपोर्ट त्याग दिया था और कतर की नागरिकता स्वीकार कर ली थी. हिंदू देवी देवताओं की विवादित तस्वीरें बनाने के कारण हुसैन के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए थे, जिसके बाद से वह करीब चार साल से स्वनिर्वासन में रह रहे हैं. न्यायालय जम्मू-कश्मीर पैंथर्स पार्टी प्रमुख भीम सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने अदालत से कहा था कि वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को हुसैन को भारत वापस लाने संबंधी कदम उठाने को कहे.

Advertisement

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह भारत सरकार को मामले वापस लेने के लिए नहीं कह सकते क्योंकि हुसैन के खिलाफ शिकायतें व्यक्तियों ने दायर की हैं. पीठ ने कहा कि उसने हुसैन के खिलाफ लंबित सभी मामले दिल्ली स्थानांतरित कर दिए हैं.

यह जनहित याचिका 26 फरवरी को दायर की गई थी, जिसमें न्यायालय से यह आग्रह भी किया गया था कि वह केन्द्र सरकार को निर्देश दे कि हुसैन के खिलाफ दायर तमाम मामलों को वापस लिया जाए ताकि उनकी स्वदेश वापसी का मार्ग प्रशस्त हो सके. पूर्व सांसद भीम सिंह का दावा है कि हुसैन के मूलभूत अधिकारों का हनन हो रहा है क्योंकि वह अपने देश वापस नहीं लौट पा रहे हैं.

सिंह के अनुसार कथित रूप से हिंदू देवी देवताओं की विवादित तस्वीरें बनाने के कारण हुसैन पर करीब 900 मामले थोप दिए गए हैं. जनहित याचिका में हुसैन के खिलाफ दायर एक अन्य मामले में उच्चतम न्यायालय की एक पूर्व व्यवस्था का हवाला दिया गया था, जिसमें न्यायालय ने कहा था कि कलात्मक अभिव्यक्ति पर कोई आपत्ति नहीं की जानी चाहिए.

Advertisement
Advertisement