राष्ट्रमंडल खेलों पर भारी भरकम धनराशि खर्च करने को लेकर सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाने वाले आईटी कंपनी विप्रो के प्रमुख आजिम प्रेमजी को निशाना बनाते हुए केन्द्रीय खेल मंत्री एमएस गिल ने कहा कि आलोचना करने से पहले औद्योगिक घरानों को देखना चाहिए कि वे क्या कर रहे हैं.
राष्ट्रपति भवन में आयोजित अजरुन पुरस्कार समारोह के बाद संवाददाताओं के सवालों के जवाब में खेल मंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है जब देश के बड़े औद्योगिक घरानों को खेलों के विकास के लिये अपना पूरा सहयोग देने के लिये आगे आना चाहिये. गिल प्रेमजी के बयान से नाखुश नजर आ रहे थे.
माइक्रोसाफ्ट प्रमुख और दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार बिल गेट्स का उदाहरण देते हुए खेल मंत्री ने कहा कि भारतीय उद्योग घरानों को बिल गेट्स से सबक लेना चाहिये. उन्होंने कहा कि बिल गेट्स खेलों सहित अन्य समाजिक कार्यों पर अपनी कमाई की बड़ी राशि खर्च करते हैं.
उन्होंने कहा कि खेलों के विकास के लिये काफी पैसे की जरूरत है, केवल सरकार या उससे जुड़ी रेलवे जैसी संस्थााए ही खेलों के विकास का बीड़ा क्यों उठाये. सभी बड़े कारोबारियों को खेलों के विकास में अपना योगदान चाहिये.
गिल ने कहा कि भारतीय उद्योगों को देखना चाहिए कि वे क्या कर रहे हैं. देश के खिलाड़ियों को पैसे की जरूरत है. बड़े औद्योगिक घरानों को मेरा संदेश है कि वे आगे आयें और सहयोग करें. गिल ने कहा कि टाटा द्वारा देश में खेलों के विकास के लिये बहुत पैसा दिया जाता है.
गौरतलब है कि प्रमुख आईटी कंपनी विप्रो के अध्यक्ष प्रेमजी ने हाल ही में कहा था कि सरकार राष्ट्रमंडल खेलों पर बीस हजार करोड़ खर्च कर रही है, जिसका कोई फायदा नहीं होगा. सरकार की प्राथमिकता ही गलत है उसको यह पैसा स्कूलों को बनवाने या शिक्षा आदि कार्यों पर खर्च करना चाहिये.