पीएसी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने समिति के 21 में से 11 सदस्यों द्वारा ‘नामंजूर’ की जा चुकी टू जी स्पेक्ट्रम घोटले संबंधी विवादास्पद जांच रिपोर्ट शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष के कार्यालय को सौंप दी.
अधिकारियों के हाथों लोकसभा कार्यालय को रिपोर्ट भिजवाने के बाद जोशी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘अब इस रिपोर्ट को स्वीकार करना या नहीं करना अथवा सदन में पेश करने या नहीं करने का निर्णय लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार का होगा. उनका निर्णय अंतिम होगा.’ उन्होंने कहा ‘तहां तक मेरा सवाल है, मेरा मानना है कि स्पीकर को इसे स्वीकार करके सदन में पेश करनी चाहिये.’ यह पूछे जाने पर कि उन्होंने जो रिपोर्ट लोकसभा कार्यालय को भिजवाई है, क्या वह मसौदा रिपोर्ट है, उन्होंने कहा, ‘मेरी तरफ से तो यह अंतिम रिपोर्ट है.’ इस सवाल पर कि क्या रिपोर्ट को पीएसी ने अपनाया है, उन्होंने कहा, जहां तक मेरा मानना है समिति ने अपनाया है.
पीएसी के 21 में से बहुसंख्यक 11 सदस्यों द्वारा रिपोर्ट को अस्वीकार किए जाने की बात को नकारते हुए उन्होंने कहा कि संसदीय समिति की बैठक स्थगित होने के बाद उन सदस्यों ने ऐसा किया, इसलिए इस बात की कोई वैधानिक मान्यता नहीं है. उन्होंने कहा कि यह ऐसे ही लड़कपन वाली बात है कि यूनिवर्सिटी के लड़के वाइसचांसलर से बात करने जाएं और वाइसचांसलर के चले जाने के बाद कोई उनकी कुर्सी पर बैठ कर खुद को कुलपति घोषित कर दे और फैसले करने लगे.
उन्होंने कहा कि पीएसी की विधिवत बैठक में मतदान हुआ ही नहीं तो रिपोर्ट को अस्वीकार करने का सवाल ही कहां पैदा होता है.
इस सवाल पर कि रिपोर्ट को स्पीकर द्वारा खारिज कर दिए जाने के बाद भाजपा के सदस्य क्या पीएसी सहित सभी संसदीय समितियों से इस्तीफ दे देंगे.
जोशी ने वर्तमान पीएसी के कार्यकाल के अंतिम दिन इसका सीधा जवाब नहीं देते हुए कहा, ‘फिलहाल मैं यहां पीएसी अध्यक्ष के रूप में संबोधित कर रहा हूं. स्पीकर का निर्णय आने पर पार्टी को जो फैसला करना होगा करेगी.’ उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर कोई सीधा आक्षेप नहीं लगाया गया है, हालांकि प्रधानमंत्री कार्यालय सहित सभी मंत्रालयों से मांगे गए तथ्यों के आधार पर यह बताया गया है कि उन्होंने अनियमताओं को रोकने के लिए अपने पद की जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं किया.
रिपोर्ट को आउटसोर्स से तैयार कराने के आरोप को आहत करने वाला बताते हुए जोशी ने कहा कि संसदीय समिति पर अगर इस तरह के आरोप लगने शुरू हो गए तो पूरी संसदीय प्रणाली ही चरमरा जाएगी. संसद में प्रश्नकाल के दौरान मंत्रियों के जवाबों, चर्चाओं में सदस्यों की भागीदारी और यहां तक कि अध्यक्ष की ओर से दी जाने वाली व्यवस्थाओं तक को आउटसोर्स से तैयार किया बताया जाने लगेगा. उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए बहुत चिंता की बात है.
अपने उपर लगाए गए आक्षेपों का जवाब देते हुए भाजपा नेता ने कहा कि जेपीसी के गठन का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री सहित सत्ता पक्ष के लोग कुछ दिन पहले तक ‘मुझे सबसे ईमानदार, विद्वान, निष्पक्ष और न न जाने क्या क्या उपाधियां दे रहे थे, लेकिन पीएसी के समक्ष कैबिनेट सचिव, अटार्नी जनरल और सीबीआई को तलब करते ही सबके सुर बदल गए और मैं अचानक बेईमान हो गया?’
2जी स्पेक्ट्रम के मुख्य अभियुक्त पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा को समिति के समक्ष बुलाए बिना रिपोर्ट तैयार करने का औचित्य पूछे जाने पर पीएसी अध्यक्ष ने कहा कि सभी संबंधित मंत्रालयों से मंगाए गए तथ्यों के आधार पर वे सभी साक्ष्य मिल गए थे जिससे राजा को बुलाना उन्होंने जरूरी नहीं समझा.
यह कहे जाने पर कि पीएसी के 21 में बहुसंख्यक 11 सदस्य रिपोर्ट से सहमत नहीं हैं तो उसे समिति की रिपोर्ट कैसे कहा जा सकता है, जोशी ने तर्क दिया कि संख्या मायने नहीं रखती. महत्वपूर्ण है प्रक्रिया, और प्रक्रिया पूरी तरह अपनाई गई तथा मसौदा रिपोर्ट पर किसी सदस्य ने संशोधन नहीं दिया.
नई पीएसी का अध्यक्ष उन्हें नहीं बनने देने की कांग्रेसी नेताओं की बात पर जोशी ने कहा, जो भी अध्यक्ष होगा नियमानुसार ही होगा और शुरू से यह परंपरा है कि पीएसी का अध्यक्ष मुख्य विपक्षी दल से होता है.
उन्होंने अपील की कि भ्रष्टाचार से लड़ाई के मामले का राजनीतकरण नहीं किया जाए. साथ ही उन्होंने कहा, ‘भ्रष्टाचार को समर्थन देने वाली यह सरकार ज्यादा दिन नहीं टिकने वाली है.’ जोशी ने कहा कि भाजपा देश भर में भ्रष्टाचार के खिलाफ जनजागरण शुरू करेगी.