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सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ SAD नेताओं ने खोला मोर्चा, बोले- पार्टी प्रमुख पद से इस्तीफा दें

इस साल हुए आम चुनावों में SAD को करारी हार का सामना करना पड़ा. कारण, वह पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से केवल एक पर ही जीत पाई. बादल की पत्नी और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने बठिंडा सीट बरकरार रखी. SAD के 10 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, जबकि 2019 में उसका वोट प्रतिशत 27.45 प्रतिशत से घटकर 13.42 प्रतिशत रह गया.

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सुखबीर सिंह बादल (फाइल फोटो)
सुखबीर सिंह बादल (फाइल फोटो)

शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेताओं के एक गुट ने मंगलवार को सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ विद्रोह कर दिया और मांग की कि लोकसभा चुनावों में SAD की हार के बाद उन्हें पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. जालंधर में एक बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी घोषणा की कि अगले महीने 'SAD बचाओ' आंदोलन शुरू किया जाएगा. 

पीटीआई के मुताबिक बागी नेताओं की जालंधर में उस समय बैठक हुई जब SAD प्रमुख बादल लोकसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए चंडीगढ़ में जिला अध्यक्षों और अन्य नेताओं के साथ बैठक कर रहे थे. पार्टी ने बागी नेताओं को इसे कमजोर करने के लिए भाजपा द्वारा प्रायोजित निराश तत्व कहा. 

दरअसल, इस साल हुए आम चुनावों में SAD को करारी हार का सामना करना पड़ा. कारण, वह पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से केवल एक पर ही जीत पाई. बादल की पत्नी और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने बठिंडा सीट बरकरार रखी. SAD के 10 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, जबकि 2019 में उसका वोट प्रतिशत 27.45 प्रतिशत से घटकर 13.42 प्रतिशत रह गया.

करीब पांच घंटे चली बैठक के बाद बागियों ने बादल से पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को कहा. पूर्व अकाली सांसद चंदूमाजरा ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी की पिछली गलतियों और कमियों पर विस्तृत चर्चा की, जिसके कारण पार्टी की वर्तमान स्थिति बनी है. उन्होंने पार्टी को पुनर्जीवित करने के तरीकों पर भी चर्चा की.

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उन्होंने कहा कि 1 जुलाई को अकाल तख्त पर "पिछली गलतियों और कमियों" के लिए माफी मांगने का फैसला किया गया है. इस संबंध में एक पत्र अकाल तख्त के कार्यालय को सौंपा जाएगा, जो सिखों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ है. उन्होंने आगे कहा कि उस दिन 'शिरोमणि अकाली दल बचाओ' आंदोलन भी शुरू किया जाएगा.

बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि ऐसा महसूस किया जा रहा है कि शिरोमणि अकाली दल का नेतृत्व आम लोगों से जुड़ाव खो रहा है, जिसके कारण लोगों में निराशा है. शिरोमणि अकाली दल से दूर हो चुके लोगों को फिर से जोड़ने और उनका विश्वास हासिल करने के लिए 'शिरोमणि अकाली दल बचाओ लहर' शुरू करने की जरूरत है.

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