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सियासत में बाबाओं-धर्मगुरुओं की क्या हैसियत रही है, देखें इतिहास

सियासत में बाबाओं-धर्मगुरुओं की क्या हैसियत रही है, देखें इतिहास

1991 का साल था, फॉरेन रिजर्व खाली होने की कगार पर था. ऐसे में एक दिन PM नरसिम्हा राव अपने गुरु चंद्रास्वामी से मिलने गए. चंद्रास्वामी ने नरसिम्हा राव की लकीरों को देखते हुए कहा, ‘दोस्त, चिंता मत करो. मैंने अपने दोस्त ब्रुनेई के शाह से बात की है. उन्होंने कहा है कि जितना पैसा चाहिए, उधार देंगे. बिना सवाल पूछे.’

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