राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि किसी की इच्छा मात्र से संगठन पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता. ऐसी मांग करने वालों को पिछले अनुभवों से सीख लेनी चाहिए. यह सिर्फ़ किसी की इच्छा मात्र से नहीं हो सकता. अगर कोई नेता कहता है कि भारत की एकता, सुरक्षा और संस्कृति के लिए काम करने वाले किसी संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, तो उसे इसका कारण भी बताना चाहिए.
दरअसल जबलपुर में आरएसएस की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन किया गया था. शनिवार को कार्यक्रम के समापन पर होसबोले ने पत्रकारों से बात की और उनके सवालों का जवाब दिया. इस दौरान होसबोले से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के एक बयान को लेकर भी सवाल किया गया. जिसमें खड़गे ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी.
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प्रतिबंध लगाने के लिए होने चाहिए वाजिब कारण
होसबोले ने कहा, "इस तरह के प्रयास पहले तीन बार किए गए थे. तब समाज ने क्या कहा था? अदालत ने क्या कहा था? इन सबके बावजूद, संघ का काम बढ़ता रहा. प्रतिबंध लगाने के लिए वाजिब कारण होने चाहिए."
वरिष्ठ संघ नेता ने कहा कि समाज ने आरएसएस को स्वीकार कर लिया है और "सरकारी व्यवस्था" ने भी इस तरह के प्रतिबंधों को गलत माना है. उन्होंने आगे कहा, "जो लोग अब प्रतिबंध की मांग कर रहे हैं, उन्हें पिछले अनुभवों से सीख लेनी चाहिए."
वहीं इस दौरान यह पूछे जाने पर कि क्या आरएसएस की बैठक में बिहार या पश्चिम बंगाल चुनावों पर चर्चा हुई? होसबले ने कहा कि आगामी बिहार चुनावों पर कोई चर्चा नहीं हुई, लेकिन संघ का रुख स्पष्ट है कि लोगों को बड़ी संख्या में वोट देना चाहिए और जाति या पैसे के आधार पर नहीं, बल्कि राष्ट्र और समाज से जुड़े मुद्दों पर वोट देना चाहिए.
उन्होंने कहा, "हम इस बारे में जन जागरूकता के लिए काम करते हैं." आपको बता दें कि बिहार में मतदान 6 और 11 नवंबर को होंगे, जबकि मतों की गिनती 14 नवंबर को होगी. पश्चिम बंगाल के बारे में होसबोले ने कहा कि इस बैठक में वहां की स्थिति पर चर्चा नहीं हुई, लेकिन इस पर पहले भी चर्चा हुई थी.
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बंगाल की स्थिति गंभीर
होसबोले ने कहा कि बंगाल की स्थिति गंभीर है. पिछली बैठक में बंगाल पर एक प्रस्ताव पारित किया गया था. राज्य में संघ का कार्य बढ़ रहा है, लेकिन पिछले चुनावों के बाद राजनीतिक नेतृत्व और मुख्यमंत्री के कारण नफरत और वैमनस्य फैला है.
आरएसएस नेता ने कहा कि बंगाल एक सीमावर्ती राज्य है और बांग्लादेश से आने वाले लोगों के दबाव का सामना करता है. उन्होंने आगे कहा कि अगर राजनीतिक नेतृत्व इस खतरे को खत्म करने में विफल रहता है, तो कभी भारत का मार्गदर्शक रहे बंगाल को अस्थिरता और हिंसा के माहौल में रखना अन्याय होगा.
आरएसएस बंगाल को मजबूत करने के लिए कर रहा है काम
होसबोले ने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवक बंगाल में सामाजिक एकता को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं. मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर होसबोले ने कहा कि यह काम समय-समय पर किया जाना चाहिए. सूची को परिष्कृत किया जाना चाहिए. इसमें समस्या क्या है? अगर किसी को इस प्रक्रिया पर आपत्ति है, तो वे इसे आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं.