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किसान आंदोलन को लेकर छिड़े घमासान पर अमित शाह बोले- कोई प्रोपेगेंडा देश की एकता को नहीं तोड़ सकता

किसान आंदोलन को लेकर छिड़े घमासान के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि प्रोपेगेंडा देश की एकता को नहीं तोड़ सकता. एकजुट होकर प्रगति की ओर चलेंगे. कोई भी दुष्प्रचार भारत को ऊंचाइयों तक जाने से नहीं रोक सकता.

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गृहमंत्री अमित शाह (पीटीआई)
गृहमंत्री अमित शाह (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एकजुट होकर प्रगति की ओर चलेंगेः अमित शाह
  • कई विदेशी हस्तियों ने की थी किसान आंदोलन पर टिप्पणी
  • कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी

किसान आंदोलन को लेकर छिड़े घमासान के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि कोई प्रोपेगेंडा देश की एकता को नहीं तोड़ सकता. एकजुट होकर प्रगति की ओर चलेंगे. कोई भी दुष्प्रचार भारत को ऊंचाइयों तक जाने से नहीं रोक सकता. गृहमंत्री ने ये बातें विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के ट्वीट पर लिखी हैं. 

अमित शाह ने लिखा, 'कोई भी प्रोपेगेंडा भारत की एकता को नहीं डिगा सकता है! कोई भी प्रचार भारत को नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने से नहीं रोक सकता है! प्रोपेगेंडा भारत के भाग्य का फैसला नहीं कर सकता है. भारत प्रगति के लिए एकजुट है.' उन्होंने हैशटैग का भी जिक्र किया है.  #IndiaAgainstPropaganda #IndiaTogether

 

बता दें कि किसान आंदोलन को लेकर कई विदेशी हस्तियों ने भी टिप्पणी की है. पॉप स्टार रिहाना ने अपने ट्विटर पर किसान आंदोलन से जुड़ी खबर शेयर करते हुए लिखा था कि हम इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे? रिहाना ने हैशटैग #FarmersProtest के साथ यह ट्वीट किया था. वहीं, पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने कहा था कि हम भारत में किसानों के प्रदर्शन में एकजुटता से खड़े हैं.

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इनके ट्वीट्स पर विदेश मंत्रालय ने सख्त तेवर दिखाया और इसे गैर-जिम्मेदाराना हरकत ठहराया. इस संबंध में विदेश मंत्रालय ने कहा था, 'इस तरह के मामलों पर टिप्पणी करने से पहले हम आग्रह करते हैं कि तथ्यों का पता लगाया जाए और मुद्दों की उचित समझ की जाए. भारत की संसद ने पूर्ण बहस और चर्चा के बाद कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधारवादी कानून पारित किए.'

ये भारत का घरेलू मामला हैः राहुल गांधी 

पॉप स्टार रिहाना के ट्वीट पर राहुल गांधी ने कहा कि ये भारत का घरेलू मामला है. सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए. किसान पीछे हटने वाले नहीं हैं. सरकार को ही पीछे हटना होगा. फायदा इसी में हैं कि कानून वापस ले लिया जाए.  

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