उत्तराखंड में आए सैलाब में मरने वालों की तादाद 680 तक पहुंच गई है. मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा है कि अब जिस तरह शव मिल रहे हैं, उनको देखते हुए लग रहा है कि मरने वालों का आंकड़ा 1000 तक पहुंच सकता है.
उत्तराखंड में सैलाब के बाद फंसे हुए लोगों को निकालने का काम युद्धस्तर पर जारी है. सेना के जवान और दूसरे बचाव दल लोगों को सड़क के रास्ते निकालने में जुटे हुए हैं.
बहुगुणा ने बताया कि गौरीकुंड के निकट जंगलचट्टी इलाके में देखे गए एक हजार
तीर्थयात्रियों में से 400 को सुरक्षित निकाल लिया गया है. केदारनाथ मंदिर को फिर से खोलना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है और इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की सिफारिशों के अनुरूप इसका पुराना स्वरूप प्रदान किया जाएगा.
बहुगुणा ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारें प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए यथासंभव प्रयास कर रही हैं. राहत अभियानों में 44 हेलीकाप्टर और बड़ी संख्या में सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों को लगाया गया है.
विशेषज्ञों का एक दल पूरे इलाके में फैले शवों को एकत्र करने के लिए वहां गया था. अधिकारी, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, ने कहा कि अगले एक दो दिन में कुछ और शव निकल सकते हैं, जब इलाके में पड़ा कीचड़ और मलबा साफ होगा.
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केदारनाथ परिसर से 123 शव मिले हैं.
राज्य में बारिश और बाढ़ के इस कहर से बहुत बड़े नुकसान की बात स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मरने वालों का आंकड़ा एक हजार तक हो सकता है.
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बताया, ‘केदारनाथ को अब तीर्थयात्रियों से पूरी तरह से खाली करा लिया गया है और अब बद्रीनाथ से तीर्थयात्रियों को निकाला जाएगा, जहां तकरीबन 8,000 लोग फंसे हुए हैं.’
राहतकर्मियों को उत्तराखंड की विनाशलीला का सबसे ज्यादा असर झेलने वाले केदारनाथ मंदिर परिसर से 123 शव मिले, जिसे मिलाकर इस पर्वतीय हादसे में मरने वालों की तादाद बढ़कर 680 हो गई.
उन्होंने कहा, ‘इससे पता चला कि बहुत से और लोगों को अभी निकाला जाना बाकी है, लेकिन उसके साथ ही यह देखकर अच्छा लगा कि बहुत से लोग अभी जीवित हैं.’ उन्होंने कहा कि फंसे हुए लोगों को जल्दी सुरक्षित निकालने की व्यवस्था की जानी चाहिए.
इस बीच गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी के साथ रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया. हरिद्वार में शांतिकुंज लौटने पर मोदी ने संवाददाताओं को बताया कि उन्होंने हजारों लोगों को विभिन्न स्थानों पर फंसे देखा.
उन्होंने बताया कि राज्य में विभिन्न स्थानों से मिल रहे शवों का अंतिम संस्कार परंपरागत रीति रिवाज के अनुरूप किया जाएगा और दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए आपदा के 13वें दिन हरिद्वार में महायज्ञ होगा.
उन्होंने कहा कि बाकी जगहों पर भी सड़क संपर्क बहाल होने से फंसे हुए तीर्थयात्रियों को निकालने के काम में तेजी आएगी.
बहुगुणा ने राहत और बचाव कार्यों की जानकारी देते हुए बताया कि लोक निर्माण विभाग ने 529 टूटी सड़कों की मरम्मत कर दी है, जिसकी वजह से फंसे हुए तीर्थयात्रियों को फाटा और गुप्तकाशी इलाकों से हरिद्वार लाया जा सका.
उन्होंने कहा कि अंतिम मृतक संख्या तभी मिल सकेगी जब मलबा साफ होगा, जिसके नीचे कई शव दबे हो सकते हैं.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने संवाददाताओं से कहा, ‘मरने वालों संख्या एक हजार का आंकड़ा छू सकती है.’
पहाड़ों से आयी पानी की तेज धार ने अपने पीछे मौत और तबाही का मंजर छोड़ा है.
इसके अलावा अभी 22 हजार और लोगों को निकाला जाना बाकी है. रविवार के मौसम में ज्यादा बदलाव की उम्मीद नहीं है, लेकिन अभियान में लगे लोग सोमवार और मंगलवार को बारिश के बारे में की गई भविष्यवाणी को लेकर चिंतित हैं जिससे उनका कार्य प्रभावित हो सकता है.
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध करायी गई जानकारी के अनुसार बड़े पैमाने पर विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी राहत अभियान के तहत कुल मिलाकर 70 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.
खराब मौसम की भविष्यवाणी के मद्देनजर तमाम उपलब्ध साधनों को राहत एवं बचाव कार्य में झोंकते हुए शनिवार को उत्तराखंड में बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित केदारनाथ सहित तबाह हुए अन्य विभिन्न ऊपरी क्षेत्रों से 10 हजार से अधिक लोगों को निकाला गया.
माना जा रहा है कि करीब 40 हजार लोग अबतक फंसे हुए हैं वो भी ऐसी जगह कि खाना-पीना भी नसीब नहीं हो रहा है.
कुदरत के कहर ने उत्तराखंड को बेबस कर दिया. तबाह हो गया केदारनाथ. पटरी से उतर गया उत्तरकाशी. सैकड़ों की मौत की खबर आ चुकी है और हजारों मौतों की आंशका है. राहत के काम में सेना के साथ-साथ वायुसेना और आईटीबीपी के जवान जुटे हैं.