बिहार में वोटर लिस्ट सुधार अभियान को लेकर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि इस प्रक्रिया में 8 करोड़ लोगों से ऐसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं जो गरीबों के पास उपलब्ध नहीं हैं, जिससे उनका 'वोट का राज़ मतलब चोट का राज़' हो सकता है और उन्हें वोटिंग के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।