इस चर्चा में महापुरुषों को जाति और धर्म की सीमाओं से ऊपर देखने पर जोर दिया गया है. महापुरुषों के योगदान और उनके कर्मों को प्राथमिकता देते हुए बताया गया कि जाति आधारित राजनीति और विभाजन समाज के लिए हानिकारक हैं.