संघ के एक नेता ने संविधान की प्रस्तावना में आपातकाल के दौरान जोड़े गए 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्षता' शब्दों पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने इन शब्दों को शामिल नहीं किया था और अब इन पर समीक्षा की बात कही है. इस पर विपक्षी दलों ने पलटवार करते हुए कहा कि यह संविधान बदलने की कोशिश है, जिसे जनता ने 2024 में विफल कर दिया था.